घातक युद्धपोत: भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हुआ INS मोरमुगाओ, जानें खासियत
जान होगा गर्व।
पणजी: भारतीय नौसेना को एक और स्वदेशी युद्धपोत मिल गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में रविवार को आयोजित एक कार्यक्रम में INS मोरमुगाओ को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. INS मोरमुगाओ भारत के सबसे आधुनिक युद्धपोत में से एक है जिसके तकरीबन 75 फीसदी उपकरण और हथियार भारत में बने हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएनएस मोरमुगाओ को नौसेना में शामिल किए जाने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महान हस्तियों को याद किया. उन्होंने छत्रपति शिवाजी, संभाजी, कान्होजी जैसी हस्तियों के साथ ही पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का भी जिक्र किया. राजनाथ सिंह ने कहा कि विशाखापत्तनम क्लास का यह मिसाइल डिस्ट्रॉयर भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक है.
उन्होंने कहा कि यह युद्धपोत अपनी क्षमताओं से भारत की समुद्री क्षमता में उल्लेखनीय इजाफा करेगा. नौसैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि आप लोग हमारे समुद्री तट के साथ-साथ समुद्री क्षेत्र की भी रक्षा करते हैं. हमारे धन-धान्य, संपदा और सुख-समृद्धि की भी रक्षा करते हैं. उन्होंने देश की सुरक्षा के साथ सामाजिक-आर्थिक प्रगति में नौसेना के योगदान की भी चर्चा की.
रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के तीन तरफ समुद्र किसी वरदान से कम नहीं है. इसकी लोकेशन इसे सामरिक, व्यावसायिक और संसाधनों के लिहाज से महत्वपूर्ण बनाती है. उन्होंने कहा कि MDSL की ओर से तैयार किया गया यह युद्धपोत हमारी स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता का बड़ा उदाहरण है. राजनाथ सिंह ने कहा कि आने वाले समय में हम अपनी जरूरत के लिए ही नहीं, दुनियाभर की जरूरत के लिए शिप बनाएंगे.
उन्होंने आईएनएस मोरमुगाओ की खासियतें गिनाईं और कहा कि ये दुनिया के सबसे आधुनिक मिसाइल कैरियर्स में से एक होगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक बंदरगाह के रूप में भी मोरमुगाओ ने देश के समुद्री व्यापार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. ये देश के सबसे पुराने और बड़े बंदरगाह में से एक है. रक्षा मंत्री ने कहा कि मोरमुगाओ फोर्ट हो या पोर्ट, दोनों ही इतिहास में दर्ज हैं.
मुंबई के मझगांव डाक पर बने INS मरमुगाओ आधुनिक हथियारों से लैस है. इस युद्धपोत की बाहरी परत को स्पेशल स्टील से तैयार किया गया है. इसे रडार से पकड़ पाना तो मुश्किल है ही, ये जंगी जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थिति में भी बचाव करने में सक्षम है. इसी प्रोजेक्ट के पहले जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम को पिछले साल भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.