भारतीय सेना की घातक बंदूकें, थर-थर कांपते हैं दुश्‍मन

टैंक को छेद देती हैं.

Update: 2022-05-04 06:47 GMT

नई दिल्ली: भारतीय सेना कई बार कंक्रीट के बंकरों और मोटे धातुओं की चादर वाली बख्तरबंद गाड़ियों के अंदर मौजूद दुश्मन और आतंकियों को एंटी-मैटेरियल राइफल से मार गिराती है. ये राइफलों इतनी ताकतवर और खतरनाक होती हैं कि इनकी गोलियों से बचना मुश्किल होता है. अगर ये इंसान को लग जाएं तो उसके शरीर के चीथड़े उड़ा देती हैं... भारतीय सेना ऐसी चार एंटी-मैटेरियल राइफलों का इस्तेमाल करती है. आइए जानते हैं इनकी ताकत के बारे में...

अमेरिका में बनी यह एंटी-मैटेरियल स्नाइपर राइफल को 1980 में रॉनी बैरेट ने डिजाइन की थी. तब से अब तक इसका उत्पादन चल रहा है. इस राइफल का वजन 13.5 से 14.8 किलोग्राम है. लंबाई 48 इंच है. इसकी नली या बैरल की लंबाई 20 इंच है. इसमें .50 बीएमजी और .416 बैरेट कार्टिरेज लगती है. इनका कैलिबर 12.7 मिलिमीटर रहती है. इसकी गोली 853 मीटर प्रति सेकेंड की गति से चलती है.
बैरेट एम82 से निकली गोली 1800 मीटर की रेंज तक सटीक निशाना लगाती है. इसमें 5 से 10 राउंड की डिटैचेबल बॉक्स मैगजीन होती है. इसके कुल सात वैरिएंट्स मौजूद हैं. यह मोटे धातु से बनी टैंक, बख्तरबंद वाहन और बंकर को उड़ा देती है. इसके सामने इंसान या जीव आता है तो उसके चीथड़े उड़ने की बात तो पक्की है. इसका उपयोग भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेस करती हैं. 
बैरेट एम82 का ही अपग्रेडेड और ज्यादा खतरनाक वर्जन है बैरेट एम95. यह 1997 से लगातार बनाई जा रही है. बिना स्कोप और मैगजीन के इसका वजन 10.7 किलोग्राम है. लंबाई 45 इंच है. जबकि, बैरल 29 इंच की है. इसमें .50 बीएमजी की कार्टिरेज लगती है. इसकी गोली 2800 फीट प्रति सेकेंड की गति से चलती है.
इसकी फायरिंग रेंज 1800 मीटर है. हालांकि, इसकी अधिकतम फायरिंग रेंज 6800 मीटर है. यह वैरिएंट पर निर्भर करता है. इसमें 5 राउंड डिटैचेबल बॉक्स मैगजीन लगती है. इसका उपयोग फिलहाल दुनिया के 12 देश कर रहे हैं. इसका उपयोग भारतीय सेना की एंटी-स्नाइपर टीम करती है. 
सोवियत संघ में बनी यह एंटी-मटेरियल राइफल साल 2000 से दुनिया के कई देशों में उपयोग की जा रही है. इसे पहली बार 1996 में डिजाइन किया गया था. इसका वजन 12.9 किलोग्राम है. लंबाई 68.7 इंच है, जबकि बैरल की लंबाई 39 इंच है. इसमें 12.7x108 मिलिमीटर की कार्टिरेज लगती है. यह एक सेमी-ऑटोमैटिक एंटी-मटेरियल स्नाइपर राइफल है. इसकी गोली 910 मीटर प्रति सेकेंड की गति से जाती है.
इसकी फायरिंग रेंज 2 किलोमीटर है. इसमें पांच राउंड की डिटैचेबल बॉक्स मैगजीन लगती है. इसके कुल मिलाकर तीन वैरिएंट्स बाजार में हैं- V-94, OSV-96 और MTs-567. भारतीय सेना के पास OSV-96 है, जिसका उपयोग सेना की स्नाइपर टीम करती है. फिलहाल इसका इस्तेमाल दुनिया के सात देश कर रहे हैं. 
भारतीय सेना के लिए बनाई गई स्वदेशी एंटी-मटेरियल स्नाइपर राइफल. 2007 से भारतीय सेना इसका उपयोग कर रही है. इसे तिरुचिलापल्ली के आयुध कारखाने में बनाया गया है. इसका वजन 29 किलोग्राम है, लंबाई 2 मीटर है. इसके बैरल की लंबाई 1.2 मीटर है. इसमें तीन कैलिबर की गोलियां लगाई जा सकती हैं- 12.7x108 mm, 14.5x114 mm, 20x82 mm. बैरल में 8 ग्रूव्स बने हैं, जो गोलियों को 1080 मीटर प्रति सेकेंड की गति प्रदान करते हैं.
मल्टी-कैलिबर विध्वंसक की अधिकतम फायरिंग रेंज 2300 मीटर है लेकिन 1800 मीटर तक 100 फीसदी सटीकता का भरोसा रहता है. इसमें तीन राउंड की मैगजीन लगती है. इसके अलावा 8x42 पॉवर टेलिस्कोपिक साइट और पैरालैक्स एडजस्टमेंट किया जा सकता है. इसका उपयोग भारतीय सेना और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) करती है. इसे लार्ज कैलिबर स्नाइपर राइफल भी कहते हैं. इसकी गोली बंकर, विमान, ईंडन डिपो, टैंक, बख्तरबंद वाहन, राडार सिस्टम, संचार सिस्टम को ध्वस्त कर सकती है. 
साभार: आजतक
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