IIM रायपुर में युवा-20 परामर्श कार्यक्रम के पहले दिन युवाओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई
नई दिल्ली: आईआईएम, रायपुर ने अपने परिसर में बहुत उत्साह और धूमधाम के साथ दो दिवसीय युवा-20 परामर्श कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कल (25 फरवरी, 2023) इस कार्यक्रम के पहले दिन के विचार-विमर्श में युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर की 'युवा संवाद' में उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। यह कार्यक्रम छात्रों के बीच बहुत उत्साह के साथ शुरू हुआ। इससे पहले, इस कार्यक्रम का उद्घाटन कल सुबह रेणुका सिंह सरुता, जनजातीय मामलों की राज्यमंत्री द्वारा किया गया। इस अवसर पर आईआईएम रायपुर के निदेशक डॉ. राम कुमार काकानी और अन्य सम्मानित अतिथि भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन के दौरान, अनुराग सिंह ठाकुर ने अंतराल को पाटने, प्रतिभा प्रदर्शन के अवसर प्रदान करने और वैश्विक समस्याओं को हल करने में प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत अब 107 यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। उन्होंने विविध प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने और बहुत उत्साह, जीवन शक्ति और जीवंतता बनाए रखने के लिए छत्तीसगढ़ के युवाओं की प्रशंसा की। उन्होंने यह भी कहा कि आपका नेटवर्क आपका नेट वर्थ है। उन्होंने युवाओं को अपने नेटवर्क का विस्तार करने और अपने जीवन और कार्य के आयाम को बढ़ाने के लिए लोगों के साथ अधिक से अधिक संबंध स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि युवाओं को व्यापक अवसर और अनुभव हासिल करने के लिए अधिक से अधिक भ्रमण करना चाहिए। आप वर्तमान हैं और विश्व की आशा हैं।
संवाद के दौरान अनुराग सिंह ठाकुर ने राजनीति में युवाओं की भागीदारी, जीडीपी बढ़ाने आत्म-सशक्तिकरण और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अपने देश में योगदान आदि के संबंध में कई प्रश्न उठाए। इस सत्र से यह मुख्य सीख मिली है कि निरंतर सीखना और नए कौशल प्राप्त करने से युवाओं को देश की प्रगति में शामिल होने और शांति को बढ़ावा देने के बारे में सशक्त बनाया जा सकता है। श्री अनुराग सिंह ठाकुर आईआईएम रायपुर के लोगों में पारंपरिक कला के उपयोग से बहुत प्रभावित हुए।
श्रीमती रेणुका सिंह सरुता ने युवा-20 परामर्श कार्यक्रम के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत को आजादी दिलाने और इसकी प्रगति में योगदान देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का यह उपयुक्त अवसर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी अपने विज़न को साझा किया है और वैश्विक मंच पर भारतीय युवाओं के महत्व को पहचाना है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए बहुपक्षीय संवाद और मंचों में शामिल होना बहुत आवश्यक है। भारत ने अनेक कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन उसके बावजूद भी देश ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही विश्व शांति को बढ़ावा देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कई उदाहरणों का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में संघर्ष पर विराम लगाया गया और अब वहां युवा फल-फूल रहे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस युवा-20 परामर्श के दौरान होने वाली चर्चाओं से शांति निर्माण में मदद मिलेगी और हम "वसुधैव कुटुम्बकम्" के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
आईआईएम रायपुर के निदेशक डॉ. राम कुमार काकानी ने स्वागत भाषण में यह विश्वास व्यक्त किया कि युवा-20 परामर्श कार्यक्रम वैश्विक परिवर्तन का एक शक्तिशाली चालक है। उन्होंने आतंकवाद, समाजवादी समूहों और सामाजिक सामंतवाद द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक मंच पर आने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के साथ-साथ कानून और व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन बरकरार रखने में सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए अंतर-सामुदायिक संवाद महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रतिभागियों को पूरे आयोजन के दौरान सक्रिय चर्चाओं और विचार-विमर्श सत्रों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि वे विश्व के अधिक से अधिक दबाव वाले मुद्दों के भी नवाचारी समाधान तैयार कर सकें।
इस कार्यक्रम की शुरुआत से पहले, अतिथियों को आईआईएम, रायपुर परिसर का दौरा कराया गया। अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 को मनाने के उपलक्ष्य में भारत के योगदान के रूप में उन्हें बाजरे से तैयार नाश्ता दिया गया।
संघर्ष समाधान में युवाओं को शामिल करना" विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की गई। डॉ. अजय कुमार सिंह पूर्व मुख्य सचिव असम बोडोलैंड शांति वार्ताकार के अनुसार, युवा पीढ़ी को शांति की स्थापना का पालन करना चाहिए और उसे कायम रखने में योगदान देना चाहिए। डॉ. मोहित गर्ग आईपीएस एसपी बलरामपुर अग्रिम पंक्ति वामपंथी उग्रवाद का अनुभव रखते हैं। उन्होंने कहा कि शासन प्रणाली और सरकार में धीरे-धीरे विश्वास होने का अनुभव नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्रों में देखा जा सकता है। इन क्षेत्रों की युवा पीढ़ी के संपर्क में रहकर, उनके साथ बातचीत करके, शैक्षिक, सांस्कृतिक और एथलेटिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए बनाई गई गतिविधियों से ही उनका विश्वास अर्जित किया जा सकता है। श्री मो. एजाज असद आईएएस उपायुक्त श्रीनगर ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद और हिंसा के कारनामे युवाओं की आकांक्षाओं को प्रभावित करते हैं। श्री रेनहार्ड बॉमगार्टन, प्रतिष्ठित पत्रकार, अंतरराष्ट्रीय संघर्ष क्षेत्र जर्मनी ने सूडान में संघर्ष का मामला उठाते हुए यह सुझाव दिया कि प्रेम ही स्थायी शांति की नींव के रूप में काम कर सकता है। नेहरू युवा केंद्र की यूथ आइकॉन सुश्री प्रियंका बिस्सा ने कहा कि युद्ध की चर्चा मात्र से भोजन, पानी, संसाधन और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी सामने आ जाते हैं।
शांति स्थापना, शांति निर्माण और शांति बनाए रखने के बारे में अनुभव साझा करने के बारे में दूसरी पैनल चर्चा रजत बंसल आईएएस (डीसी बलोडाबाजार) द्वारा आयोजित की गई। इस सत्र के पैनलिस्टों में ब्रिगेडियर बसंत के पोंवार (सेवानिवृत्त), एवीएसएम, वीएसएम (पूर्व निदेशक, आतंकवाद-विरोधी और जंगल युद्ध महाविद्यालय), रतन लाल डांगी, आईपीएस (निदेशक, सीजी राज्य पुलिस अकादमी), रॉब यॉर्क (निदेशक, क्षेत्रीय मामले, प्रशांत फोरम, यूएसए) और डॉ. अदिति नारायणी (ट्रैक चेयर युवा-20) ने भाग लिया। इस सत्र का मुख्य निष्कर्ष यह रहा कि हथियारों के उपयोग के माध्यम से समस्याओं का समाधान प्रभावी नहीं है और सोचने का तरीका उपलब्ध उपकरणों की तुलना में बहुत ही महत्वपूर्ण है।
तीसरी पैनल वार्ता में डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे, आईएएस (डीसी रायपुर) की देखरेख में, आयोजित किया गया जिसमें समुदायों के बीच आम सहमति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस पैनल में मुंगेली, छत्तीसगढ़ के युवा नेता नितेश कुमार साहू, जीन मौलिन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर डॉ. फिलिप आइबे अवोनो और आईआईएम रायपुर से पीजीपी द्वितीय वर्ष की छात्रा श्वेता करंबेलकर शामिल थीं। इस सत्र के महत्वपूर्ण वक्ताओं में से एक पूर्व नक्सली बी. मरकाम भी रहे, जिन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था और समुदायों में शांति और परिवर्तन लाने में योगदान दिया। इस सत्र में संयुक्त राष्ट्र और भारतीय नेताओं जैसे गांधी और बुद्ध के शांति स्थापना में योगदान पर प्रकाश डाला गया है। भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश इसकी युवा आबादी है, जो विश्व में सबसे बड़ी है। हालाँकि, जब समुदायों के निर्माण और शांति को बढ़ावा देने की बात आती है, तो नागरिक पूरी तरह से उसमें शामिल नहीं हो पाते क्योंकि शांति निर्माता संघर्ष का हल करने के बजाय उन्हें दबाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। आईआईएम रायपुर के पीजीपी प्रथम वर्ष के छात्रों द्वारा संचालित एक और सत्र सुलह के विविध परिप्रेक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया। वक्ता डॉ. प्रेम सिंह बोगज़ी (प्रतिष्ठित प्रोफेसर, आईआईएम रायपुर के अतिथि) ने यह कहा कि समाधान में यह पहचानना भी शामिल है कि पिछले कार्य आदर्श या प्रभावी नहीं होते, लेकिन इसके लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन करने और उसे आगे बढ़ने के लिए एक साझा दृष्टिकोण स्थापित करने की आवश्यकता है।
आयोजन का सबसे महत्वपूर्ण खंड 'युवा संवाद' था जिसकी केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने छात्रों के बहुत उत्साह के बीच शुरूआत की। इसका संचालन प्रो. संजीव पराशर, प्रोफेसर मार्केटिंग आईआईएम रायपुर ने किया। श्री ठाकुर ने छत्तीसगढ़ राज्य की प्रगति की सराहना करते हुए उत्सुक और कल्पनाशील व्यक्तियों के बीच उपस्थित होने पर गर्व अनुभव किया और वे आईआईएम रायपुर के लोगों में पारंपरिक कला के उपयोग अपने झरनों, मंदिरों और 44 प्रतिशत वन आवरण के साथ घर जैसा अनुभव कराने से प्रभावित हुए।
यह राज्य खनिजों, जंगलों, धातुओं से समृद्ध है और यहां प्रसिद्ध कोसा रेशम का उत्पादन भी होता है। उन्होंने अंतराल को पाटने, प्रतिभा दिखाने के अवसर प्रदान करने और वैश्विक समस्याओं का समाधान करने में प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने विविध प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने और अत्यंत उत्साह, जीवन शक्ति और जीवंतता रखने के लिए छत्तीसगढ़ के युवाओं की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत अपने 107 यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है, ऐसा कहते हुए उन्होंने गर्व का अनुभव किया। उन्होंने श्रोताओं से राजनीति में युवाओं की भागीदारी, सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि, आत्म-सशक्तिकरण, अंतरराष्ट्रीय छात्रों द्वारा अपने देश में योगदान देने के बारे में कई प्रश्न किए। इस सत्र से यह सीख मिलती है कि निरंतर सीखने और नए कौशल प्राप्त करने से युवाओं को सशक्त बनाया जा सकता है। राष्ट्र की प्रगति में भाग लेने और शांति को बढ़ावा देने में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपका ‘नेटवर्क आपका नेट वर्थ’ है। उन्होंने युवाओं से अपने नेटवर्क का विस्तार करने और लोगों के साथ अधिक से अधिक संबंध स्थापित करने के लिए प्रेरित किया ताकि उन्हें भविष्य में लाभ मिले। इसके अलावा, उन्होंने सुझाव भी दिया कि युवाओं को व्यापक अनुभव और अवसर हासिल करने के लिए अधिक से अधिक यात्रा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आप वर्तमान हैं, आप विश्व की आशा हैं।
आईआईएम रायपुर द्वारा आयोजित युवा-20 परामर्श कार्यक्रम एक शानदार सफलता के साथ समाप्त हुआ, जिसमें युवा नेता, विशेषज्ञ और नीति निर्माता अपने विचारों का आदान-प्रदान करने और शांतिपूर्ण तथा टिकाऊ समुदाय के निर्माण के लिए नवाचारी समाधान विकसित करने के लिए एक मंच पर आए। जटिल सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोगी और समावेशी दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर देते हुए पैनल चर्चा और युवा संवाद सत्रों से समुदाय निर्माण, आम सहमति निर्माण और सुलह के बारे विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का पता लगाया गया। इस आयोजन की सफलता आईआईएम रायपुर की नेतृत्व को बढ़ाने और सतत विकास को बढ़ावा देने तथा भविष्य में इस पर गति का निर्माण करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।