क्लोनिंग वॉयस के झांसे में लोगों को फंसा रहे साइबर ठग

शिमला। साइबर ठग अब लोगों को क्लोनिंग वॉइस के झांसे में फंसाकर ठगी का शिकार बना रहे हैं। शातिर आपके नंबर पर आपके बेटा, आपका पति, आपकी पत्नी की आवाज में आपसे पैसे की मांग करता है और ऑनलाइन भेजने की बात कहता है तो बिल्कुल पैसे देने से मना कर दें। अगर आपने गलती से …

Update: 2024-01-01 06:44 GMT

शिमला। साइबर ठग अब लोगों को क्लोनिंग वॉइस के झांसे में फंसाकर ठगी का शिकार बना रहे हैं। शातिर आपके नंबर पर आपके बेटा, आपका पति, आपकी पत्नी की आवाज में आपसे पैसे की मांग करता है और ऑनलाइन भेजने की बात कहता है तो बिल्कुल पैसे देने से मना कर दें। अगर आपने गलती से भी ऐसा कर दिया तो आपके खाते से एक पल में सारे पैसे राशि गायब हो सकती है। साइबर ठगों ने लोगों को ठगने के लिए कई तरह के वॉयस मैसेज तैयार कर लिए हैं। फोन कॉल पर शातिर कभी वो आपकी पत्नी बन सकता है तो कभी वो आपका पिता बन सकता है। इसलिए जब कोई आपको अपना दूसरे नंबर से कॉल करे तो सबसे पहले उसके पर्सनल नंबर पर कॉल करें। इसके बाद जांच करे कि क्या वाकई में बेटा को क्रेडिट कार्ड का डिटेल्स चाहिए था, उसके बाद ही फिर कोई निर्णय लें। साइबर सैल शिमला में लोगों से साइबर ठगों में झांसे में न आने की अपील की है। साइबर सैल की ओर से ठगों से बचने के लिए एडवाईजरी भी जारी की गई है।

जैसे-जैसे इंटरनेट की दुनिया हाईटेक हो रही है, ठीक उसी तरह इस इंटरनेट की दुनिया में साइबर ठग भी हाईटेक तरीके अपनाकर लोगों को निशाना बना रहे हैं। साइबर ठग आपकी आवाज से आपको अपने जाल में फंसा रहे हैं। साइबर ठग आपका बेटा या कोई और रिश्तेदार बनकर कॉल करेंगे। इस खेल को अंजाम देने के लिए एक पूरा प्रोसेस होता है। साइबर अपराधी आपका दोस्त बनकर आपको सीधे कॉल करते हैं। जब आप कॉल करते हैं तो इस दौरान आपकी आवाज रिकॉर्ड हो जाती है। जब ये आपको दोस्त कहकर कॉल करते हैं तो महज तीन सेकेंड में आपकी आवाज रिकॉर्ड कर लेते हैं और एआई की मदद से कई मैसेज तैयार कर लेते हैं। साइबर ठगों का सारा खेल यही से शुरू होता है। एसपी साईबर क्राइम रोहित मालपानी का कहना है कि अगर कोई आपके पर्सनल नंबर से आपको कॉल करे तो ही उस पर विश्वास करें। साइबर ठगों के जाल में फंसे लोग क्लोनिंग वॉइस यानी आपकी आवाज और डुप्लीकेट आवाज को नहीं पहचान पाते हैं और शातिरों के झांस में फंस जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि लोग मुसीबत में पड़ जाते हैं और कॉल करते हैं तो ऐसे में आप पहले अपने रिश्तेदार के पर्सनल नंबर पर एक बार कॉल करें और उसके बाद ही मदद करने का फैसला लें।

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