कोरोना काल में मदद के नाम पर जमकर हुआ साइबर फ्रॉड, 372 FIR, 91 लोग गिरफ्तार

राजधानी दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर की कालाबाजारी हावी रही,

Update: 2021-05-11 18:40 GMT

राजधानी दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर की कालाबाजारी हावी रही, तो वहीं हॉस्पिटल में बेड दिलाने के नाम पर भी जमकर फ्रॉड हुए. इन मामले में लोगों से लाखों की ठगी की गई. विभिन्न मामलों में शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन साइबर प्रहार शुरू कर दिया है. इसके अंतर्गत 372 एफआईआर दर्ज की गई हैं, तो वहीं 91 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार किया गया है.

95 डिवाइस की गई बरामद
जॉइंट सीपी साइबर सेल प्रेमनाथ ने बताया कि विभिन्न राज्यों से फ्रॉड का ये गेम चल रहा था. टीम द्वारा उन राज्यों के डीजीपी से संपर्क किया गया है. दिल्ली पुलिस साइबर सेल ने कोरोना की दूसरी लहर में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे फ्रॉड करने के मामले में 372 मामले दर्ज किए हैं, जिसके तहत 91 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं इन फ्रॉड के दौरान इस्तेमाल की गईं 95 डिवाइस को भी सीज किया गया है.
900 नंबर किए गए ब्लॉक
इतना ही नहीं साइबर सेल के अफसरों का दावा है कि जांच के बाद टीम ने साइबर अपराधियों तक 7 लाख रुपये की रकम पहुंचने से भी रोक ली है. वहीं टीम द्वारा फ्रॉड करने वाले 900 नंबरों को ट्रेस करके ब्लॉक कर दिया है. जॉइंट सीपी साइबर सेल प्रेमनाथ ने बताया कि साइबर सेल ने इस तरह की जालसाजी को रोकने के लिए अपनी 20 टीमें तैयार की थीं, जिसके बाद बड़ी सफलता टीम को हाथ लगी है.
पश्चिम बंगाल के हैं फोन नंबर
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि इन अपराधियों के नंबर किसी और राज्य से चलाए जा रहे थे और इनके अकाउंट नंबर किसी दूसरे राज्य में मौजूद थे. हैरानी की बात यह है कि ज्यादातर ब्लॉक किए गए सिम कार्ड पर फ्रॉड करने वालों के नंबर पश्चिम बंगाल के पाए गए हैं, जबकि इनके बैंक अकाउंट महाराष्ट्र और दिल्ली एनसीआर में मिले हैं.
214 बैंक एकाउंट किए सीज
डीसीपी साइबर सेल अन्येश रॉय ने बताया कि दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने फ्रॉड करने वाले 214 बैंक एकाउंट को सीज करवाया है. 168 नंबर को ट्रू कॉलर की मदद से कोविड स्कैन के नाम से टैग करवाया है. यह साइबर अपराधी लोगों से आईसीयू के नाम पर, ऑक्सीजन सिलेंडर के नाम पर, रेमडेसिविर और अस्पताल में भर्ती कराने के नाम पर जालसाजी कर रहे थे. इनका नेटवर्क पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और दिल्ली एनसीआर तक फैले हुआ है.
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