विदेशी फल की खेती, किसानों को होगी अच्छी कमाई
यह फल थाईलैंड और वियतनाम में मशहूर है।
मुजफ्फरपुर: बिहार का मुजफ्फरफुर देश-दुनिया में लीची के लिए मशहूर है। अब लीची प्रजाति के विदेशी फल लौंगन की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। दरअसल, लौंगन लीची प्रजाति का ही फल है, जिसकी सफल खेती राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने की है। यह फल थाईलैंड और वियतनाम में मशहूर है। बताया जाता है कि लौंगन लीची की सीजन के बाद तैयार होता है, जिससे यह समय को लेकर किसानों के लिए सही है। लीची की तरह इसका रंग लाल नहीं होता है। कहा जाता है कि इसमें एंटी पेन और एंटी कैंसर तत्व पाए जाते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
मुजफ्फरपुर स्थित लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. विकास दास की मानें तो लौंगन थाईलैंड और वियतनाम का मशहूर फल है। इसे फिलहाल शोध के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में लगाया गया है। इसके जर्म प्लांट बंगाल के 24 परगना से मंगाए गए थे। उन्होंने कहा कि किसानों को लौंगन का पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अभी जो फल लगे हैं, वह इस सप्ताह से खाने के लिए उपलब्ध होंगे।
उन्होंने बताया कि इसके पेड़ में अप्रैल में फूल लगते हैं और जुलाई के अंत में फल पक कर तैयार हो जाता है। अगस्त के पहले सप्ताह में यह खत्म भी हो जाता है। लौंगन लीची जैसा ही होता है। एक तरह से कह सकते हैं कि यह लीची जैसा ही फल है, जो खाने में मीठा होता है। लीची की तरह इसके पत्ते भी होते हैं, पेड़ भी वैसा ही होता है, बस यह लीची की तरह लाल और अंडाकार नहीं होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लीची की तरह कीड़े नहीं लगते। लीची का सीजन समाप्त होने के एक माह बाद तक यह उपलब्ध होता है।