खेरिया बागान में सेव की खेती गुलजार

कश्मीरी और शिमला के सेव के बाद कोढ़ा का सेव भी बाजार में उपलब्ध

Update: 2023-07-31 16:24 GMT
सेव की खेती कर नई इबारत लिख रहे हैं प्रशांत कुमार चौधरी

ए डी खुशबू, कोढ़ा कटिहार, बिहार से

कटिहार। अब तक ऐसा माना जाता रहा है कि सेव की खेती केवल ठंडे प्रदेशों में ही संभव है। लेकिन अब यह बात मिथया साबित हो रही है। बिहार के कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड में एक कंप्यूटर इंजीनियर किसान सेव की खेती शुरू कर दिया है और इनके खेतों में सेव का फलन भी काफी अच्छा हुआ है। सेव टूट कर अब बाजार भी जाने लगा है। और इस वर्ष सेव की कीमत भी बेहतर होने के कारण किसान को बेहतर मुनाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिले की कोढ़ा प्रखंड खेरिया के शिक्षित ( कंप्यूटर इंजीनियर ) किसान प्रशांत कुमार चौधरी अपने गांव में सेव की खेती शुरू कर एक मिसाल कायम कर दी है। उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़कर सेव की खेती शुरू की और आज सेव की खेती से लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।

खेरिया ग्राम के किसान प्रशांत कुमार चौधरी किसानी के क्षेत्र में किसानी की नई इबारत लिखने को बेताब दिख रहे हैं। किसान प्रशांत कुमार चौधरी ने पारंपारिक कृषि को छोड़कर अपनी जमीन में बागवानी कर रहे हैं और उनकी मेहनत रंग ला चुकी है। किसान प्रशांत कुमार चौधरी के बागवानी में सिर्फ सेव की ही खेती नहीं उनके वाटिका में विभिन्न प्रकार के फलों की भी खेती की जाती है। प्रशांत कुमार चौधरी ऑर्गेनिक खेती के साथ बागवानी फसलों के सहारे भी बेहतर आमदनी कमा रहे हैं। शिक्षित किसान की बागवानी की चर्चा आसपास के गांव में भी होने लगी है आधुनिक व विविधता भरी उनकी खेती को देख कृषि वैज्ञानिक भी दातों तले उंगली दबा लेते हैं। और आसपास के गांव के लोग इनकी बागवानी को देखने के लिए पहुंच रहे हैं।

एम आई टी की डिग्री प्राप्त प्रशांत कुमार चौधरी दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी करते थे और नौकरी को छोड़कर वे अपने गांव में किसानी करने लगे। किसान प्रशांत कुमार चौधरी बताते हैं कि उन्हें बागवानी करने का शौक बचपन से ही था मगर एमआईटी की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की नौकरी करते थे मगर वे नौकरी छोड़ कर अपने गांव लौट आए और गांव में ही अपने 15 एकड़ जमीन में बागवानी करने लगे। उनके बागवानी में कई प्रकार के फल फ्रूट के अलावा चंदन का पैर, महोगनी, आगारुड के पैर भी हैं। किसान ने बताया कि अब लोग कश्मीरी और शिमला के बाद ठेठ बिहारी सेव के स्वाद का भी मजा लोग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके बागवानी में लगाए गए पौधे में फल आ गए।

फल जब हरा और कच्चा था तो देखने में बागवानी का दृश्य ही कुछ और लगने लगता है और फल जैसे ही पक्कर तैयार हो गया कि फल टूटकर अब सीमांचल के विभिन्न बाजार में भी जाने लगा है। उन्होंने बताया कि उनके गांव खेरिया में गर्म जलवायु वाले सेव की खेती हो रही है। उनके बागवानी में सेब के विभिन्न किस्म के पौधे हैं जिसमें अन्ना, डोरसेट, गोल्डन, हरीमन 99 है, और फल का स्वाद भी काफी अच्छा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने बागवानी में सेव के पौधे दिसंबर और जनवरी में लगाए थे और मई जून में इनमें फल आ गया। प्रशांत कुमार चौधरी सेव की खेती के बारे में लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं और उनको इस क्षेत्र से संबंधित प्रशिक्षण भी देते हैं। ताकि अपने क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उनके बागवानी में आधा दर्जन प्रकार के सेव के साथ साथ नींबू, पपीता, संतरा, काली मिर्च, काली हल्दी, इलायची, कॉफी, मिया जकी आम, जापानी लीची, लॉन्ग, इंडियन चंदन, और दुनिया के सबसे महंगे लकड़ी माने जाने वाले आगारुड, महोगनी आदि लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि बेरोजगारी और रोजगार की समस्या के बीच ही युवाओं में किसानी का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है और वह खासकर युवाओं को सेव की खेती करने के लिए जागरुक कर रहे हैं ताकि यहां बेरोजगार युवक किसानी के सहारे भी बेहतर आमदनी कमा आ सके।
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