बच्ची के साथ हैवानियत की हदें पार

गैंगरेप के आरोपी 17 साल के नाबालिग के खिलाफ वयस्क की तरह केस चलाने का आदेश दिया है.

Update: 2023-02-19 10:02 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

मुंबई: महाराष्ट्र के मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने सात साल की नाबालिग बच्ची से बार-बार गैंगरेप के आरोपी 17 साल के नाबालिग के खिलाफ वयस्क की तरह केस चलाने का आदेश दिया है. स्पेशल कोर्ट ने कहा कि सात साल की बच्ची के साथ लगातार गैंगरेप और धमकी देना जघन्य अपराध है. इस मामले में आरोपी 17 साल के लड़के के खिलाफ बच्चे की तरह नहीं, वयस्क की तरह केस चलना चाहिए.
स्पेशल जज एसए टकालीकर ने कहा कि वह अपने खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोप की प्रकृति को समझता है और परिणाम, अपराध की प्रकृति को समझने के लिए परिपक्वता की उम्र का है. जज ने कॉन्फ्लिक्ट ऑफ चाइल्ड एंड लॉ (सीसीएल) का जिक्र करते हुए बच्चे के मेंटल हेल्थ का भी जिक्र किया. वकील ने प्रोबेशन ऑफिसर की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि आरोपी के व्यवहार में काफी अधिक प्रगति हुई है.
वकील ने कोर्ट से कहा कि सीसीएल कई कार्यक्रमों में शामिल हो रहा है. उसके काउंसलिंग सेशंस, ट्रेनिंग चल रहे हैं. उसकी पढ़ाई जारी है. वकील ने आरोपी को बच्चे की तरह ट्रीट करने की मांग करते हुए कहा कि उसे वयस्क की तरह नहीं माना जाना चाहिए. पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि अन्य आरोपियों के साथ 17 साल के इस आरोपी ने उसके साथ एक बार से अधिक रेप किया. पीड़िता ने ये भी कहा कि आरोपी उसे धमकी देते थे कि हम जब बुलाएंगे और तुम नहीं आओगी तो तुम्हारी बहन के साथ भी ऐसा ही करेंगे.
अभियोजन पक्ष के वकील ने दलील दी कि अगर 16 साल से 18 साल की उम्र के बीच के नाबालिग जघन्य अपराध करते हैं तब उनके खिलाफ वयस्क की तरह केस चलाया जा सकता है. पॉक्सो एक्ट के तहत इस तरह के अपराध में उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है. जबकि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में सुनवाई होने पर अधिकतम सजा तीन साल तक की ही हो सकती है और अपराधी को बाल सुधार गृह भेजा जाता है.
जज ने ये पाया कि अपराध के समय आरोपी की 16 साल की उम्र पूरी कर चुका था और अभी 17 साल का है. कोर्ट ने उसके खिलाफ वयस्क की तरह मुकदमा चलाने का आदेश दिया. जज ने कहा कि पीड़िता के साथ अपराध जघन्य अपराध के तहत आता है.
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