कोलंबो: भारत ने श्रीलंका को एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन के तहत वाटर कैनन व्हीकल भेजने के दावे को खारिज कर दिया है. दरअसल, मीडिया में इस तरह की रिपोर्ट्स आई थीं. जिनमें दावा किया गया था कि भारत ने श्रीलंका को 1 अरब अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन के तहत वाटर कैनन वाहन की आपूर्ति की थी. लेकिन भारत ने इन खबरों को 'तथ्यात्मक रूप से गलत' बताया है.
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि भारत की ओर से कोई भी वाटर कैनन वाहनों की आपूर्ति नहीं की गई है. इस तरह की रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत हैं. उच्चायोग ने एक बयान भी जारी किया है, इसमें भारत ने श्रीलंका को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण के तहत दी गई वस्तुओं का ब्योरा दिया है.
एजेंसी के मुताबिक भारत की ओर से कहा गया है कि श्रीलंका की खाद्य, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत सरकार ने 17 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक के माध्यम से श्रीलंका सरकार को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रियायती ऋण दिया था.
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि श्रीलंका को 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की क्रेडिट लाइन का उद्देश्य संकट के समय लोगों को भोजन, दवाएं और अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराना है. इसके साथ ही कहा गया है कि मदद के उद्देश्य से चावल, लाल मिर्च जैसे खाद्य पदार्थों की आपूर्ति की जा चुकी है. सरकार लोगों की प्राथमिकताओं के आधार पर चीनी, दूध पाउडर, गेहूं, दवाएं, ईंधन और औद्योगिक कच्चे माल की आपूर्ति के लिए अनुबंध किए गए हैं.
बता दें कि 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से श्रीलंका इस समय अभूतपूर्व आर्थिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. 9 अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए हैं, क्योंकि सरकार के पास आर्थिक संकट है. आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू गई हैं. ईंधन, दवाओं और बिजली की आपूर्ति में भारी कमी आ गई है.
एक विशेष कैबिनेट बैठक में राष्ट्रपति राजपक्षे ने शुक्रवार आधी रात से आपातकाल की घोषणा कर दी. बता दें कि श्रीलंका में एक महीने में दूसरी बार आपातकाल घोषित किया गया था. इससे पहले राजपक्षे ने 1 अप्रैल को भी अपने निजी आवास के सामने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद आपातकाल की घोषणा की थी. हालांकि उन्होंने 5 अप्रैल को आपातकाल रद्द कर दिया था.