अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि स्वच्छतम प्रदेश के रूप में छत्तीसगढ़ को हाल ही में राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत किया गया। यह उपलब्धि एक बार की नहीं है, बल्कि लगातार तीसरी बार छत्तीसगढ़ स्वच्छतम प्रदेश चुना गया है। यह प्रदेश की जनता के सहयोग और जागरूकता से संभव हो पाया है। वहीं जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री घोषित किया जाता है तो इसका मतलब होता है कि पूरे प्रदेश के नागरिकों ने अपने प्रदेश के विकास के लिए एकजुट होकर, पूरी लगन और पूरी क्षमता के साथ काम किया, तब जाकर देश में हम सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाए।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि, उनकी सरकार का उद्देश्य किसी एक क्षेत्र में ही विकास करना नहीं है, बल्कि जिस तरह के एक घर बनाने के लिए पूरी प्लानिंग होती है वैसे ही सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से चहुमुंखी विकास की दिशा में सभी क्षेत्रों में समन्वियत प्रयास किया। उन्होंने कहा कि पहले छत्तीसगढ़ की पहचान नक्सलगढ़ के रूप में होती रही है लेकिन प्रदेश के सभी लोगों ने मिलकर बहुत कम समय में नयी पहचान दिलाने का काम किया। इसके लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव हो या किसानों की कर्ज माफी जैसे काम सरकार ने किए, साथ ही कई ऐसी योजनाएं शुरू की गई, जिससे आज अंतरराष्ट्रीय स्तर हमारी सकारात्मक पहचान बनी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, पहले उन्हें लेकर लोगों की मानसिकता थी कि वे सिर्फ गांव और ग्रामीणों के बारे में सोचते हैं लेकिन अब चेम्बर आफ कामर्स जैसी संस्था ने भी मान लिया है कि हमारी सरकार ने गांव से लेकर शहरी क्षेत्रों में अपनी योजनाओं के जरिए आम लोगों के जेब में पैसा डालने का काम किया है, जिससे व्यापारिक वर्ग को भी लाभ पहुंचा है।
मुख्ममंत्री बघेल ने कहा कि, जब कोरोना काल में पूरी दुनिया और देश के कई राज्यों में काम बंद थे। सभी की अर्थव्यवस्था बिगड़ी थी, तब हमारी सरकार ने आम जनता खासतौर से गरीब, मजदूर वर्ग की आवश्यकता को समझते हुए मनरेगा का काम चालू रखा। इसका परिणाम यह रहा कि प्रदेश में गरीब, मजदूर वर्ग की आवश्यकता की पूर्ति हुई ही, वहीं उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ। छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य रहा जहां न कर्मचारियों के वेतन में कटौती की गई, न विधायकों के वेतन काटे गए। सभी वर्गों के लिए सरकार ने सोचा, ऐसे में जब कोरोना काल में लोगों के खर्चे कम हुए तो लोगों की जेब में पैसा बचा जो रियल एस्टेट में इन्वेस्ट हुआ और मध्यम वर्ग तथा गरीब वर्ग के लोगों ने भी अपने घर के सपने को पूरा किया।
उन्होंने कहा कि, गाइडलाइन की दरों में कमी से रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट बढ़ा है। सरकार ने 75 लाख रुपए तक के मकानों की बिक्री पर पंजीयन शुल्क घटाकर 2 फीसदी किए जाने से रियल एस्टेट सेक्टर को लाभ हुआ। लेआउट पास करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था लागू की गई। इसके लिए 100 दिन का लक्ष्य रखा गया है, हालांकि अभी इसमें करीब 180 दिन लग रहे हैं लेकिन इसे जल्द 100 दिन में करने पर काम होगा। डायवर्सन प्रक्रिया में भी सरलीकरण किया गया। सरकार के इन फैसलों से जहां रियल एस्टेट सेक्टर को काम करने में आसानी हुई तो आम जनता को भी राहत मिली है। इस दौरान क्रेडाई छत्तीसगढ़ की ओर से रखे गए मांगों पर परीक्षण कर उन पर जल्द निर्णय लेने की बात मुख्यमंत्री ने कही।