कोर्ट ने चर्चित मामले में पुलिस की चार्जशीट को कर दिया निरस्त, मुश्किल में दरोगा, जानें हैरान करने वाला मामला
इंस्पेक्टर के खिलाफ महिला सिपाही ने केस दर्ज कराया था.
सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर (Sultanpur) की CJM कोर्ट ने एक चर्चित मामले में पुलिस की चार्जशीट को निरस्त कर दिया. इसी के साथ 50 हजार के इनामी व भगोड़ा घोषित दरोगा नीशू तोमर के खिलाफ रेप, धन हड़पने व अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने के मामले केस चलाने का आदेश दिया है. बता दें कि इंस्पेक्टर के खिलाफ महिला सिपाही ने केस दर्ज कराया था.
जानकारी के अनुसार, पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात रही एक महिला कॉन्स्टेबल ने 14 जुलाई 2022 को कोतवाली नगर थाने में केस दर्ज कराया था. इस शिकायत में महिला सिपाही ने कई आरोप लगाए थे. महिला जब हलियापुर थाने में तैनात थी, तब वहां के तत्कालीन थानाध्यक्ष नीशू तोमर पर दुष्कर्म करने और पैसा हड़पने व अश्लील वीडियो बनाकर वायरल करने का आरोप लगा था.
महिला कॉन्स्टेबल ने आरोप में कहा था कि वहां से ट्रांसफर होने के बाद भी इंस्पेक्टर नीशू तोमर उसके साथ रेप व मारपीट करता था. नीशू तोमर ने उसका अश्लील वीडियो वायरल कर दिया था.
इस मामले की विवेचना के दौरान आरोपी इंस्पेक्टर नीशू तोमर को महिला थानाध्यक्ष ने गिरफ्तार कर लिया था. जब उसे गिरफ्तार कर थाने ले जाया जा रहा था, तभी नीशू तोमर अचानक थाने से कहीं गायब हो गया था. इंस्पेक्टर अब तक फरार है.
दुष्कर्म के आरोप में फरार इंस्पेक्टर नीशू तोमर पर 50 हजार का इनाम है. इंस्पेक्टर की पत्नी ने भी इस मामले की उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस केस के मौजूदा विवेचक सीओ सिटी शिवम मिश्रा ने महिला कॉन्स्टेबल के सभी आरोपों को झूठा मानकर मात्र 504 व 506 (गाली गलौज व जान से मारने की धमकी देने का आरोप) में विवेचना करते हुए चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश की. पुलिस द्वारा पेश की गई चार्जशीट पर महिला कॉन्स्टेबल के अधिवक्ता संतोष पांडेय ने प्रोटेस्ट दाखिल किया.
सोमवार को मामले की सुनवाई करने के बाद CJM कोर्ट से मंगलवार दोपहर आदेश हुआ कि भगोड़ा 50 हजार के इनामी इंस्पेक्टर नीशू तोमर पर रेप करने, धन हड़पने व अन्य धाराओं में केस चलने के पर्याप्त साक्ष्य हैं. उसके खिलाफ केस चलाया जाए.
इस मामले के विवेचक पूर्व सीओ राघवेंद्र चतुर्वेदी ने अपनी विवेचना में महिला कॉन्स्टेबल द्वारा कोर्ट में दिए गए कलमबंद 164 के बयान व मोबाइल कॉल डिटेल और वायरल अश्लील वीडियो को पर्याप्त साक्ष्य नहीं माना और इसके लिए उन्होंने उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश तक का भी उल्लेख किया.
CJM कोर्ट के जज बटेश्वर कुमार ने पुलिस की एक भी दलील को नहीं माना और केस की चार्जशीट को निरस्त करते हुए अपने आदेश में लिखा है कि विवेचक को विधिक ज्ञान का अभाव है, साथ ही उसने ऊपरी न्यायालयों के ताजा निर्णय नहीं देखे हैं, जिनमें कलम बंद 164 के बयान को ही पर्याप्त साक्ष्य माना गया है. आदेश में टिप्पणी की गई है कि विवेचक ने आरोपी को बचाने के लिए ऐसी लिखा पढ़ी की है, जो निरस्त होने योग्य है.