घरों में दूध बांटने वाला बना पार्षद, जानें कहां हुआ ऐसा?

Update: 2021-10-12 09:40 GMT

जयपुर: वह रोजाना घरों में दूध बांटने के लिए जाता था, इन्हीं घरों में से एक घर राजस्थान के मंत्री का भी था। पिछले कई सालों से दूध देने के कारण लोगों का उस पर इतना विश्वास बढ़ गया कि मंत्री जी ने तो उसे चुनाव में ही खड़ा करवा दिया और ​वह जीत भी गया। जीत भी बिना किसी विरोध के, अर्थात निर्विरोध।

ये कहानी नहीं, हकीकत है राजस्थान के अलवर जिले की। यहां जिला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्यों के लिए 20, 23 और 26 अक्टूबर को चुनाव होने है, लेकिन इससे पहले ही दूध बांटने वाला जगदीश जाटव निर्विरोध चुन लिया गया है। वार्ड नंबर 20 से निर्विरोध जीतने के बाद जगदीश बताते हैं कि वह केवल आठवीं तक पढ़ा लिखा है और उसे तो ये भी पता नहीं था कि चुनाव के लिए फार्म कैसे भरा जाता है। इसके बावजूद उसके मन में लोगों की सेवा करने का भाव और इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। जगदीश का कहना है कि 2015 में वह तूलेड़ा ग्राम पंचायत से उप सरपंच रहकर लोगों की सेवा करने का कार्य कर चुके हैं। शायद लोगों की सेवा के प्रति यही समर्पण देखकर कांग्रेस पार्टी ने उसे चुनाव में खड़ा किया। इसका पूरा श्रेय वे राजस्थान सरकार के श्रम मंत्री टीकाराम जूली को देते हैं।
जगदीश ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है और दूध बांटकर ही परिवार का गुजारा करता है। पूरे महीनेभर की आमदनी 15 से 20 हजार रुपये तक ही है। जब वह दूध बांटने के लिए जाता तो लोग उसे सामाजिक समस्याओं से अवगत कराते। चूंकि वह मंत्री के घर भी दूध बांटने के लिए जाता था इसलिए वह उसे वहां बता देता और लोगों के काम होने लगते। इसी परिणामस्वरूप मंत्रीजी के सहयोग से उसे कांग्रेस पार्टी ने वार्ड 20 से अपना उम्मीदवार बनाया। अब वह निर्विरोध चुन लिया गया है। उसने बताया कि जब उसके पास निर्विरोध चुनाव का फोन आया तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वार्ड नंबर 20 में 60 से 70 हजार मतदाता है। ऐसे में उसकी प्राथमिकता रहेगी कि वह आमजन की सड़क, पानी और बिजली संबंधी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाए, ताकि उनका समाधान हो सके।
निर्विरोध चुनाव होने के बारे में जब जगदीश से पूछा गया कि भाजपा के उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस कैसे लिया तो उसका जवाब है कि उसे नहीं पता कि यह कैसे हुआ। जगदीश ने बताया कि उसके 6 साल की बेटी खुशी और दो साल का बेटा महावीर है। दोनों अभी पढ़ते हैं और पढ़लिखकर आगे बढ़ना चाहते हैं। जगदीश की पत्नी बबीता भी महिला कांग्रेस से जुड़ी हुई है।


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