भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कोर कमांडर स्तर की वार्ता की, इन मुद्दों पर चर्चा हुई

Update: 2023-04-24 03:55 GMT
नई दिल्ली (आईएएनएस)| शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक इसी सप्ताह होनी है। इस बैठक से ठीक पहले रविवार को भारत और चीन के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कोर कमांडर स्तर की 18वें दौर की वार्ता की है। भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की यह वार्ता लगभग 5 महीने बाद हुई है। इससे पहले दिसंबर 2022 में अंतिम दौर की वार्ता की गई थी। इस महत्वपूर्ण सैन्य वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली कर रहे हैं, इसे फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के नाम से भी जाना जाता है। यह बैठक 27-28 अप्रैल को निर्धारित एससीओ रक्षा मंत्री की बैठक के लिए चीनी रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू के दौरे से ठीक पहले हो रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जनरल ली के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच होने वाली इस बैठक के दौरान एलएसी पर तनाव को लेकर चर्चा होगी।
यह यात्रा भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन के क्रम में भी हो रही है। सूत्रों ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की बैठक के दौरान भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग समेत तनाव कम करने पर जोर देगा।
गौरतलब है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर समझौतों का उल्लंघन करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करने के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव पैदा होने के बाद कोर कमांडर स्तर की वार्ता 2020 में शुरू की गई थी। मई 2020 में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों सेनाएं पैंगोंग त्सो, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से विस्थापित हो गई हैं, हालांकि देपसांग मैदानी क्षेत्र और डेमचोक में तनाव बना हुआ है।
देपसांग और डेमचोक के संबंध में दोनों पक्ष कोई प्रगति करने में विफल रहे हैं। भारत ने डी-एस्केलेशन की मांग की है, जिसमें सभी अतिरिक्त सैनिकों और उपकरणों को एलएसी के अग्रिम क्षेत्रों में अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस ले जाना शामिल है। हालांकि, चीन की ओर से अभी तक इसके लिए कोई झुकाव नहीं दिखा है। वह मौजूदा होल्डिंग पोजीशन को नई यथास्थिति के रूप में मानना चाहते हैं।
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