भारत में कोरोना का प्रचंड कहर: आईआईटी वैज्ञानिकों की नई स्टडी, डराने वाला है अंदाजा
कोरोना के बढ़ते मामले डराने वाले हैं. एक्सपर्ट्स अंदाजा लगा रहे हैं कि कुछ दिनों में पीक पर जाने के बाद कोरोना के मामलों में कमी देखी जा सकती है. इस बीच आईआईटी वैज्ञानिकों की एक टीम ने आने वाले दिनों में कोरोना के जो संभावित मामले बताए हैं वो चिंता बढ़ाने वाले हैं.
आईआईटी वैज्ञानिकों ने अपने गणितीय मॉडल के आधार पर बताया है कि 14-18 मई के बीच कोरोना के मरीजों की संख्या 38-48 लाख तक पहुंच सकती है. वहीं 4-8 मई तक के बीच हर दिन संक्रमण के मामले 4.4 लाख तक पहुंच सकते हैं.
आपको बता दें कि फिलहाल हर दिन कोरोना के 3.52 लाख से ज्यादा के मामले सामने आ रहे हैं. कानपुर और हैदराबाद में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाने के लिए SUTRA (Susceptible, Undetected, Tested (positive) and Removed Approach) नाम के मॉडल का इस्तेमाल किया. वैज्ञानिको ने आशंका जताई कि मई के मध्य तक कोरोना के मामले 10 लाख से ऊपर तक जा सकते हैं.
इस नए प्रोजेक्ट में मामलों की समयसीमा और संख्या में सुधार किया गया है. पिछले हफ्ते, शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया था कि 11-15 मई के बीच ये महामारी अपने पीक पर जाएगी और कुल एक्टिव केस 33-35 लाख तक आ सकते हैं. इसके बाद मई के अंत तक मामलों में तेजी से गिरावट आ सकती है.
इस महीने की शुरुआत में मॉडल के आधार पर वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया संभावित आंकड़ा गलत साबित हुआ था. वैज्ञानिकों ने बताया था कि 15 अप्रैल तक देश में कोरोना के एक्टिव मामले पीक पर जा सकते हैं जो सही नहीं निकला.
आईआईटी-कानपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने PTI को बताया, 'इस बार मैंने पूर्वानुमान आंकड़े निकालने के लिए न्यूनतम और अधिकतम गणना भी की है. मुझे पूरा विश्वास है कि वास्तविक आंकड़े इन न्यूनतम और अधिकतम गणना के बीच में होंगे.
आने वाले दिनों में कोरोना के संभावित मामलों को लेकर प्रोफेसर अग्रवाल ने ट्विटर पर भी कई पोस्ट किए थे. उन्होनें लिखा था, 'पीक समय: एक्टिव केस के लिए 14-18 मई और नए संक्रमण के लिए 4-8 मई. पीक मामले: 38-48 लाख एक्टिव केस और नए संक्रमण के 3.4 से 4.4 लाख मामले.' उन्होंने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता कि अंतिम आंकड़े क्या होंगे.
समय के साथ मॉडल के बदलते अनुमानों के बारे में बताते हुए प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा, 'इसका मुख्य कारण यह है कि भारत के मौजूदा पैरामीटर में लगातार धीमी गति से बदलाव हो रहा है जिसकी वजह से सही अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है.'
वैज्ञानिकों की ये नई स्टडी अभी कहीं प्रकाशित नहीं हुई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नए सूत्र मॉडल में कई विशेषताएं हैं. जहां पिछली कुछ स्टडीज में मरीजों की संख्या को एसिम्टोमैटिक और लक्षण वाले मरीजों में बांटा गया था वहीं इस मॉडल में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ एसिम्टोमैटिक मरीजों का कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और अन्य प्रोटोकॉल के जरिए भी पता लगाया जा सकता है.
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने सूत्र मॉडल के लिए तीन मापदण्डों का इस्तेमाल किया है. पहले पैरामीटर में ये मापा गया कि कोई संक्रमित व्यक्ति एक दिन में कितने लोगों को संक्रमित करता है. दूसरे में ये जाना गया कि इस महामारी की चपेट में आबादी के कितने लोग आ चुके हैं और तीसरे पैरामीटर में पता लगने वाले और गुप्त मामलों का अनुपात निकाला गया.