इस परिवार पर कोरोना का वार, 21 दिनों के अंदर 8 सदस्यों की हुई मौत
कोरोना का कहर
दक्षिण दिल्ली से एक दिलदहला देने वाला मामला आया है. जहां 28 दिनों के अंदर एक ही परिवार के 6 लोग काल के गाल में समा गए. 31 मई को इस परिवार में सभी 6 लोगों का एक साथ 13 वीं कार्यक्रम किया गया है. वहीं, लखनऊ में 21 दिनों के अंदर एक ही परिवार के 8 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर मौत हो गई. दरअसल, ये मामला दक्षिण दिल्ली के देवली इलाके का है. जहां मित्तल निवास में 15 लोगों का परिवार रहता था. बुजुर्ग दादा-दादी से लेकर उनके बच्चे और पोते सभी इस परिवार में एक साथ हंसी खुशी रहते थे. लेकिन इनकी सारी खुशियों को कोरोना महामारी ने रौंद कर रख दिया. कोरोना के काल नें इस परिवार पर इतना वार किया कि इनके आंखों के आंसू सूख गए.
कोरोना के दौर में यह परिवार इतना सदमे में था कि किस दिन कौन सा परिवार का सदस्य दुनिया से चला जाए यह कह नहीं सकते. अप्रैल के महीने में इस परिवार के तीन लोग एक साथ कोरोना पॉजिटिव हुए. उस वक्त देश की राजधानी दिल्ली कि इतनी बुरी हालत थी कि यहां पर प्राइवेट हॉस्पिटल में बेड मिलना मुश्किल था. मित्तल परिवार अपने सदस्यों को बचाने के लिए प्राइवेट और सरकारी सभी अस्पतालों में चक्कर काटता रहा लेकिन उनके दिल्ली में बेड नहीं मिला.
ऐसे में परिवार के लोग हरियाणा झज्जर के एम्स हॉस्पिटल गए वहां पर इन्होंने अपने तीनों मरीज को एडमिट करा दिया. इलाज अभी चल रहा था कि परिवार के दो और लोग कोविड पॉजिटिव हो गए. उन्हें भी झज्जर एम्स में एडमिट कराया गया. इलाज बीमारी और पॉजिटिव होने का सिलसिला मानो हर दिन शुरू हो गया. हर रोज परिवार के सदस्यों की हालत बिगड़ती गई. मित्तल परिवार के जितने भी बड़े बुजुर्ग थे सभी अस्पताल में थे और अपना इलाज करवा रहे थे.
ऐसे में घर के कुछ ही नौजवान बचे थे. इस परिवार के लोगों की शिकायत है कि एम्स हॉस्पिटल झज्जर में इनके मरीजों के इलाज के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी. यह परिवार अपने बीमार सदस्यों को लेकर काफी सदमे में था. इतने में झज्जर हॉस्पिटल से परिवार के लोगों की मौत की खबर आनी शुरू हुई. सबसे पहले 83 साल की बुजुर्ग सत्यवती मित्तल की मौत हुई. उसके बाद उनके बेटे अमित मित्तल की मौत हो गई. कुछ ही दिनों बाद उनके दूसरे बेटे राजीव मित्तल की भी मौत हो गई. इस परिवार में बाकी लोग जो कोरोना पॉजिटिव हैं उन्हें टी एस आर आई हॉस्पिटल और यशोदा हॉस्पिटल गाजियाबाद में एडमिट किया गया था. एक सदस्य की मौत पीएसआरआई हॉस्पिटल में हुई तो वहीं एक सदस्य की यशोदा हॉस्पिटल गाजियाबाद में मौत हो गई. इस परिवार में 28 दिनों के अंदर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. 31 मई को सभी 6 सदस्यों का तेरहवीं का कार्यक्रम घर में किया गया. (प्रतीकात्मक फोटो)
मित्तल परिवार कोरोना महामारी में अपना सब कुछ खो दिया. इस परिवार में जितने भी कमाने वाले थे वह अब इस दुनिया में नहीं रहे. हालांकि, इस परिवार की आर्थिक स्थिति थोड़ी ठीक जरूर है लेकिन आगे परिवार का क्या होगा इसके लिए सभी रिश्तेदार चिंतित हैं. इस परिवार के 15 सदस्यों में से 8 सदस्य कोविड पॉजिटिव हुए थे जिसमें से 6 लोग आज इस दुनिया में नहीं है. महामारी की मार इस परिवार पर ऐसी पड़ी है कि इन्हें सम्भलने में न जाने कितना वक्त लगेगा. दूसरी तरफ 25 अप्रैल से लेकर 15 मई तक एक ही परिवार के 8 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर काल के गाल में समा गए. गांव के मुखिया मेवाराम का आरोप है कि इस भयावह घटना के बावजूद भी सरकार की तरफ से ना ही कोई सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई और ना ही अभी तक कोरोना संक्रमण की जांच की गई.