आंसुओं के साथ मरीजों के स्पर्म से भी फैल रहा कोरोना वायरस, पढ़े बड़ा खुलासा
कोरोना का कहर
गोरखपुर। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचाई. हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई और अब तीसरी लहर ने सभी को डरा रखा है. इसी बीच कोरोना वायरस को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. एक रिसर्च के अनुसार कोरोना संक्रमण अब मरीज के आंसुओं से भी फैल सकता है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई एक रिसर्च के दौरान इस बात की पुष्टि हुई है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ये पता लगाया जा रहा था कि आखिर कोरोना का संक्रमण इतनी तेजी से कैसे फैल रहा है. इस दौरान माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एक रिपोर्ट में ये सामने आया कि कोरोना मरीज के आंसुओं में भी वायरस मौजूद होता है जो संक्रमण फैला सकता है. शोध के दौरान 20 से ज्यादा ऐसे मरीज सामने आए हैं जिनके आंसुओं में कोरोना वायरस होने की पुष्टि हुई है.
आंखों की रोशनी भी गई
कोरोना वायरस इतना घातक है कि एक मरीज की आंखों की रोशनी भी चली गई और एक की रोशनी को बचाने के लिए ऑपरेशन करना पड़ा. जिन लोगों के आंसुओं में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है उनके से अधिकतर में आंखें लाल होने या जलन होने के अलावा कोरोना का कोई लक्षण मौजूद नहीं था. लक्षण न होने के चलते काफी समय तक इन मरीजों को इस बात का पता ही नहीं चल सका कि वे कोरोना की चपेट में आ गए हैं.
स्पर्म में भी मिला कोरोना
बीआरडी के माइक्रोबायोलॉजी विभगाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि कोरोना इतना घातक है कि ये मरीजों के दिमाग की नसों को एक तरीके से सुखा देता है जिसके काफी गंभीर परिणाम होते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ मरीज ऐसे भी सामने आए हैं जिनके स्पर्म में भी कोरोना वायरस होने की पुष्टि हुई है. इस बार कोरोना ने दिमाग के नशों को भी सुखा दिया, यहां तक कि स्पर्म में भी कोरोना के वायरस मिले हैं. वहीं कॉलेज के ही नेत्र रोग विभागाध्याक्ष डॉ. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि कोरोना का वायरस शरीर के किस अंग से प्रवेश करेगा ये बता पाना मुश्किल है. उन्होंने बताया कि आंखों में लालीपन की शिकायत लेकर कई मरीज बीआरडी मेडिकल कॉलेज आए थे. इनमें से 20 में कोविड की पुष्टि हुई है. जबकि उन्हे केवल आंखों में ही समस्या थी. समय रहते इनकी जांच हुई नहीं तो आंसुओं से संक्रमण शरीर के दूसरे हिस्से में भी जा सकता था. कोविड की भयावहता इसी से सिद्ध होती है कि इस प्रसार किसी भी माध्यम से हो सकता है. ये आंखों पर बहुत ही घातक प्रभाव डालता है, इसलिए दूसरी लहर के बाद पोस्ट कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मरीज सामने आए हैं.