CORONA: अचानक बढ़ने लगे हैं टीबी के मरीज, डॉक्टर भी चिंतित, पढ़ें पूरी खबर
ऐसे लोगों पर बैक्टीरिया का प्रभाव न के बराबर
क्या कोरोना (Covid-19) के कारण कम इम्यूनिटी और फेफड़ों के डैमेज होने से कुछ लोगों में टीबी की समस्या बढ़ी है? ये सवाल तेजी से लोगों के दिमाग में घर कर रहा है. दरअसल, कई डॉक्टर भी इस विषय पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में बैक्टेरियल इंफेक्शन में काफी ज्यादा मात्रा में वृद्धि हुई है. टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया के शरीर में प्रवेश करने पर होती है.
सफदरजंग अस्पताल में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा कि टीबी के मरीजों की संख्या लगभग दोगुना हो गई है. उन्होंने कहा, 'यह संभव है कि टीबी के मरीज अब अस्पतालों में आ रहे हैं और परीक्षण करवा रहे हैं, इसलिए भी इसकी संख्या में वृद्धि हुई है. लेकिन हम कोविड -19 के मरीजों को दिए जाने वाले स्टेरॉयड की भूमिका से इंकार नहीं कर सकते. यह इम्यूनिटी को कम करता है और संक्रमण वाले लोगों को टीबी होने का पूर्वाभास कराता है.'
ऐसे लोगों पर बैक्टीरिया का प्रभाव न के बराबर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया में 2-3 अरब लोग हाल ही में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलोसिस (गुप्त टीबी) से संक्रमित हुए हैं. इसका मतलब है कि व्यक्ति को संक्रमण है, लेकिन बीमारी नहीं है क्योंकि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकने के लिए लड़ने में सक्षम है, यानी उसकी इम्यून सिस्टम बैक्टीरिया को रोक पा रहा है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गुप्त टीबी से पीड़ित 5% -15% लोगों में टीबी के पुन: सक्रिय होने का खतरा है.
हालांकि, हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि स्टेरॉयड के साथ इलाज किए जा रहे रोगियों में, टीबी के दोबारा होने का जोखिम 2.8 से बढ़कर 7.7 गुना हो गया है. डॉ किशोर ने बताया कि कोरोना से ठीक हुए सभी मरीजों को डॉट्स केंद्रों के माध्यम से टीबी का शीघ्र पता लगाना और पाए जाने पर उसका उपचार कराना चाहिए. अन्यथा, हम राष्ट्रीय तपेदिक (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम में विफल हो सकते हैं.
एम्स के डॉक्टरों ने बताया- क्यों बढ़े टीबी के केस?
एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका अर्थ है कि टीबी के बैक्टीरिया फेफड़ों में संक्रमण के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित कर रहा है. इसी तरह के रुझान बड़े निजी अस्पतालों में भी देखे गए. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक फोर्टिस शालीमार बाग में पल्मोनोलॉजी विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ विकास मौर्य ने कहा, 'कोविड -19 की दूसरी लहर के बाद, हमारे पास टीबी के 30% -40% मरीज आए हैं, उनमें से कई एक्स्ट्रापल्मोनरी हैं.' उन्होंने कहा कि उन्होंने एक ही परिवार के कई सदस्यों में टीबी का संक्रमित देखा है.
जुलाई में भी टीबी के मामलों में हुई थी वृद्धि
देश में टीबी के मामलों में वृद्धि को सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जुलाई में भी उजागर किया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तब स्पष्ट किया था कि सभी कोविड-पॉजिटिव रोगियों और बीमारी से ठीक हो चुके लोगों के लिए टीबी स्क्रीनिंग की सिफारिश की गई थी.
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'कोविड से संबंधित प्रतिबंधों के प्रभाव के कारण, 2020 में टीबी के मामले में लगभग 25% की कमी आई है, लेकिन ओपीडी में भी मामले की गहन खोज के माध्यम से इस प्रभाव को कम करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसके अलावा, वर्तमान में यह बताने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि कोविड-19 के कारण टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है.'