कोरोना ने छीनी परिवार की खुशियां, बेटी की मौत, बेटे और पत्नी हुए ब्लैक फंगस के शिकार
जिंदगी में ऐसा तूफान लाया कि पूरा परिवार ही बिखर गया और यह परिवार अपनों की जिंदगी के लिए जूझ रहा है.
पंचायत चुनाव को लेकर सरकार के दावे कुछ भी हो लेकिन मेरठ के एक परिवार की मानों सारी खुशियां ही पंचायत चुनाव ने छीन ली है. यह पंचायत चुनाव उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान लाया कि पूरा परिवार ही बिखर गया और यह परिवार अपनों की जिंदगी के लिए जूझ रहा है.
मामला मेरठ का है जहां 76 साल के प्रदीप जैन की 38 साल की बेटी शालिनी जैन मेरठ के जानी ब्लॉक में सरकारी टीचर थीं. उनकी ड्यूटी पंचायत चुनाव में लगी थी. घरवालों का कहना है कि जब वो पंचायत चुनाव कराकर घर पहुंची तो अगले दिन उसको बुखार आ गया. 27 अप्रैल को उन्हें बुखार आया और 2 से 3 दिन घर में ही इलाज चलता रहा लेकिन शालिनी का ऑक्सीजन लेवल कम होने के बाद 2 मई को मेरठ के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 3 मई को उनकी मौत हो गई.
शालिनी जैन शादीशुदा थीं और उनकी 8 साल की बेटी भी है लेकिन पति से मनमुटाव होने के बाद वह अपनी बेटी के साथ अपने पिता प्रदीप जैन के घर ही रह रही थीं. टीचर शालिनी जैन की मौत के गम से परिवार अभी उबर भी नहीं पाया था कि घर के इकलौते बेटे शालिनी के भाई अनिकांत जैन और मां रेनू जैन को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया. 13 मई को रेनू जैन कोरोना से ठीक होकर घर आ गई लेकिन परेशानियों ने इस परिवार का पीछा नहीं छोड़ा.
कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने घर के इकलौते बेटे अनिकांत जैन और उसकी मां रेनू जैन को अपनी चपेट में ले लिया. पिता प्रदीप जैन ने बेटे अनिकांत को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया जहां उस का ऑपरेशन भी हुआ. दवाएं भी चली लेकिन वो ठीक नहीं हो सका. उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई है. निजी अस्पताल ने भी जवाब दे दिया है. पिता प्रदीप जैन ने अपने बेटे को मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया है जहां वह मौत और जिंदगी के बीच जंग लड़ रहा है.
प्रदीप जैन की पत्नी को भी ब्लैक फंगस हो गया था जिसका इलाज लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में हुआ. बुधवार को ही उनको लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से इलाज के बाद छुट्टी मिली है. रेनू की तबीयत अब बेहतर है. वह अपने घर पर हैं लेकिन घर का इकलौता बेटा जिंदगी की जंग लड़ रहा है.
प्रदीप जैन का कहना है कि निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने में उनके 7 लाख रुपये खर्च हो चुके है. उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने बेटे को मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया है.