कोरोना महामारी: दाह संस्कार और एंबुलेंस के लिए ज्यादा वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान दाह संस्कार और एंबुलेंस सेवा के लिए कथित तौर पर ज्यादा शुल्क लेने का मुद्दा उठाया गया है. याचिका में कोर्ट से ये अपील की गई है कि वह केंद्र सरकार को मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने पर विचार करने का निर्देश दे. वकील जोस अब्राहम के जरिए दायर की गई याचिका में गैर-सरकारी संगठन (NGO) डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने कहा कि हाल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने परामर्श जारी कर मृतकों के सम्मान और अधिकार की रक्षा करने को कहा है.
वहीं, गंगा नदी (Ganga River) में कई शवों के बहने की खबरों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देना चाहिए कि वे कोरोना से जान गंवाने वालों को दफनाने या दाह संस्कार करने और एंबुलेंस सेवा (Cremation and Ambulance Service) के लिए कीमत तय करने के लिए जल्द से जल्द दिशानिर्देश बनाएं और उन निर्देशों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान हो.
"पैसों की कमी की वजह से नदी में बहाए जा रहे शव"
NGO डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने कहा, "पैसे की कमी की वजह से लोगों को अपने प्रियजनों के शवों को गंगा जैसी नदियों में बहाते हुए देखना बहुत परेशान करने वाला है." याचिका में दावा किया गया है कि प्राथमिक रूप से यह दाह संस्कार और एंबुलेंस सेवा के लिए ज्यादा राशि मांगे जाने की वजह से हो रहा है और कई लोग अपने प्रियजनों के शवों को गंगा नदी में बहाने का फैसला कर रहे हैं."
याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने श्मशान भूमि की देखरेख कर रहे लोगों की तरफ से निर्लज्ज तरीके से लाभ कमाने के मामले से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, जिसकी वजह से कई लोग शवों का दाह संस्कार नहीं कर पा रहे हैं या अपने प्रियजनों को दफना रहे हैं. मालूम हो कि हाल ही में गंगा और यमुना में बड़ी संख्या में लोगों के शव बहते हुए नजर आए थे, जिसे लेकर इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि ये शव कोरोना मरीजों के भी हो सकते हैं. पूरा प्रशासन इस पूरे मामले की जड़ तक पहुंचने में लगा हुआ है.