बड़ा बयान: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद बोले- पार्टी में मचेगी भगदड़, दी ये नसीहत

उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है.

Update: 2021-11-03 11:54 GMT
बड़ा बयान: कांग्रेस के राज्यसभा सांसद बोले- पार्टी में मचेगी भगदड़, दी ये नसीहत

फाइल फोटो 

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नई दिल्ली: असम में विधानसभा की 5 सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। खाली हाथ रह गई पार्टी को अब अपने ही वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रिपुन बोरा ने आत्मनिरीक्षण की नसीहत दी है। बोरा ने बुधवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी को करारी हार पर गंभीर और सार्थक आत्ममंथन करने की जरूरत है। बोरा ने यह भी कहा कि उन्हें जानकारी है कि असम में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी या टीएमसी में शामिल होने की तैयारी में हैं।

बोरा ने यहां पत्रकारों से कहा, ''कांग्रेस के लिए यह बहुत जरूरी हो गया है कि वह उपचुनावों के नतीजों पर गंभीर और सार्थक आत्मचिंतन करे।'' असम में बीजेपी ने 3 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की तो वहीं 2 विधानसभा सीटों पर उसकी सहयोगी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) ने कब्जा किया। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी।
जिन तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, उनमें से दो पहले कांग्रेस नेताओं सुशांत बोरगोहेन और रूपज्योति कुर्मी के पास थी। इन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। दोनों को बीजेपी ने टिकट दिया और ये उपचुनाव जीत गए। बोरा ने कहा कि उपचुनाव के नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है यह कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत चौंकाने वाला और विनाशकारी हार है।
सांसद ने यह भी कहा कि उपचुनाव के नतीजे आमतौर पर सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में जाते हैं और यह 2016, 2017 और 2019 में छह विधानसभा सीटों पर हुए नतीजों में भी दिखा जब वह असम प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे। हालांकि, इन उपचुनावों में कांग्रेस आम चुनाव के मुकाबले वोट फीसदी बढ़ाने में सफल रही थी। यहां तक ​​कि 2016 में हुए लखीमपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस 2014 के आम चुनाव के मुकाबले वोट बढ़ा पाई थी।
बोरा ने कहा, ''इस उपचुनाव के नतीजों ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल को गंभीर रूप से कम कर दिया है। छह महीने के भीतर कांग्रेस के वोट में इतनी गिरावट बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।'' सांसद ने यह भी कहा कि दो विधानसभा क्षेत्रों- थौरा और मरियानी में- कांग्रेस का प्रदर्शन पहले कभी इतना खराब नहीं रहा।
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