मुरादाबाद: छोटा कद। गोरा रंग और दरम्याना चेहरा। चेहरे पर गजब की फूर्ति और हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष के नारे का ऐलान। कांग्रेसी हाजी रिजवान कुरैशी हार कर भी जीत गए। पार्टी ने महापौर पद के लिए इन्हें दूसरी बार आजमाया, जिसमें वह पास हुए। यह दीगर है की मतों की गणित में वह फेल हो गए। लेकिन, स्वयं की कसौटी पर पास रहे।
हाजी रिजवान के राजनीतिक सफर की चर्चा करें तो पांच साल के इनके प्रदर्शन की समीक्षा समीचीन हैं। कांग्रेस ने साल 2017 के चुनाव में महापौर पद का उम्मीदवार बनाया था। वह चुनाव भी हाजी रिजवान बहुत कम दिनों की तैयारी में लड़े। पद की लड़ाई में 73042 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। जबकि वर्ष 2022 के विधान सभा चुनाव में पार्टी ने फिर इन्हें आजमाया। मुरादाबाद शहर विधान सभा सीट से प्रत्याशी बनाया।
निश्चित रूप से रिजवान को यहां पटखनी मिली। तब स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा का रोड शो भी काम नहीं आया। बड़ी तैयारी और मेहनत के बाद भी रिजवान 5351 लोगों के समर्थन तक ही सीमित रहे। लेकिन, अबकी महापौर के चुनाव में इतिहास रच दिया। रिजवान ने सपा की पारंपरिक सीट की बाट लगा दी। चुनाव में अकेले दम पर 117826 लोगों का सहयोग लेकर हार कर भी जीत गए। रिजवान की इस लड़ाई में सपा का सूपड़ा साफ हो गया। यहां सपा मेयर पद के उम्मीदवार रईसुद्दीन नईमी चौथे नंबर पर खिसक गए। यानी रिजवान का झंडा इस चुनाव में दोबारा गड़ा।
समय की नजर
कांग्रेस उम्मीदवार हाजी रिजवान कुरैशी ने कहा कि प्रशासन ने पक्षपात किया। जनता ने मुझे बेपनाह प्यार और समर्थन दिया। लेकिन, प्रशासन ने रोड़ा अटकाया। मतदान में आधार, कार्ड, पहचान पत्र और महिलाओं की जांच के नाम पर अवरोध पैदा किया गया। इसके लिए महानगर की जनता को शुक्रिया। लोगों ने प्यार से नवाजा है। मेरा मानना है कि कोशिश करने वाले की हार नहीं होती। मैं जनता के बीच था, हूं और रहूंगा।
पांच निरक्षर पार्षद सदन में उठाएंगी लोगों की आवाज
शहर की सरकार में पांच निरक्षर पार्षद जनता की आवाज बुलंद करेंगे। महागनर के 70 वार्डों में 68 पर मतदान हुए थे। दो उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। जिसमें एक भाजपा और दूसरी सपा की उम्मीवार रहीं। माना जाता है कि शहरी क्षेत्र में पढ़े-लिखे और संपन्न लोग रहते हैं। मगर निकाय चुनाव परिणाम की सूची और विवरण इ बात की गवाही दे रहे हैं कि अबकी महानगर के पांच निरक्षर पार्षद क्षेत्र की रहनुमाई करेंगे। जनहित के मुद्दे पर नागरिक सुविधाओं के लिए आम आदमी के हक की आवाज बुलंद करेंगे। आदर्श नगर कालोनी दो की राधा,असालतपुरा की शाजिया, जाहिद नगर की शाहीन परवीन, शाहपुर तिगरी की फूलवती और बरबलान की नफीस जहां का पढ़ाई -लिखाई से वास्ता नही रहा है। तीन अनपढ़ कांग्रेस, एक भाजपा और एक निर्दल उम्मीदवार के रूप में पार्षद चुनी गयीं हैं। सभी महिलाएं हैं।
मुस्लिम क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी का हो गया सफाया
समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले महानगर से सपा का सूपड़ा साफ हो गया। मुस्लिम क्षेत्रों में कांग्रेस के पार्षद पद के उम्मीदवारों ने जीत का परचम लहराया है। राजनीतिक समीक्षक निकाय चुनाव में छोटे-बड़े पर एक ही फार्मूला चला है। महापौर पद पर कांग्रेस उम्मीदवार के शोर में पार्टी के कई कमजोर प्रचार-प्रसार वाले पार्षद पद के उम्मीदवार भी कामयाब हो गए हैं। निर्वाचन विभाग की रिपोर्ट की मानें तो कांग्रेस के 22 पार्षद जीते हैं, जबकि साल 2017 के चुनाव में कुल 10 पार्षद कामयाब हो सके थे। पीरगैब, आजाद नगर, काजीपुरा, बारादरी, दौलतबाग, किसरौल, लाकड़ी बालान, कटरा बंशीधर, चौमुखापुल, ईदगाह, असालतपुरा, डहरिया, असालतपुरा भूड़ा, जाहिद नगर, मुकर्रबपुर, लालनगरी, जामा मस्जिद, रहमतनगर, बाड़ाशाह शफा,मुगलपुरा और मुफ्तीपुरा से कांग्रेस के पार्षद जीते हैं। यह क्षेत्र कभी समाजवादी पार्टी के गढ़ के रूप में स्थापित रहा है। इस बार 68 वार्ड के चुनाव में सपा के महज तीन पार्षद जीते हैं। जबकि पार्टी महिला मोर्चा की अध्यक्ष शीरीगुल निर्विरोध निर्वाचित घोषित हैं। करूला क्षेत्र के के कई सपा पार्षद कांग्रेस की लहर में अपनी सीट नहीं बचा पाए हैं।