कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने Zomato-Swiggy का किया जिक्र, जानिए क्या है वजह!

Update: 2022-03-17 06:40 GMT

नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने बुधवार को केंद्र सरकार से स्विगी और जोमैटो जैसी डिलीवरी कंपनियों को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन जारी करने की अपील की है, ताकि डिलीवरी पार्टनर्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उन्हें अवास्तविक लक्ष्यों से बचाया जा सके.

चिदंबरम ने यह मुद्दा लोकसभा में उठाया. वे गिग इकॉनमी के बारे में बात कर रहे थे. उन्होंने कहा, गिग वर्कर वह होता है, जिसका तकनीक के कारण इंप्लॉयर से गैर-पारंपरिक संबंध होता है. शिवगंगा से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा, भारत में गिग इकॉनमी से 1.5 करोड़ वर्कर जुड़े हैं. यह संख्या बढ़कर 2.5 करोड़ यहां तक की 10 करोड़ तक हो सकती है.
चिदंबरम ने कहा, कई ऐसी कंपनियां हैं, जिनकी संपत्ति अरबों में है और गिग इकॉनमी में काम करती हैं. ये कंपनियां स्विगी, जोमैटो, ऊबर और ओला जैसी कंपनियां हैं. ये सभी अरबों डॉलर की हैं. उन्होंने कहा, डिलीवरी कंपनियां 10 मिनट या 30 मिनट में खाना और किराने के सामान या अन्य उत्पाद को डिलीवर करने का वादा करती हैं. लेकिन ये डिलीवरी कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा नहीं की जाती.
उन्होंने कहा कि हमारे पास डिलीवरी कंपनियां हैं जो 10 मिनट या 30 मिनट के भीतर भोजन और किराने का सामान या किसी भी उत्पाद का वादा करती हैं लेकिन यह डिलीवरी कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा नहीं की जाती है. इसे डिलीवरी एजेंट डिलीवर करते हैं. जो दोपहिया वाहन चलाते हैं, वह उनका निजी वाहन होता है. इसमें वे कमर्शियल डिलीवरी करते हैं. उनके पीछे सीट पर बड़ा वजन होता है. लेकिन इन मजदूरों की कोई सुरक्षा नहीं होती.
चिदंबरम ने कहा, वाहनों में भी अंतर नहीं होता कि ये कमर्शियल यूज के लिए हैं या नहीं. किसी तरह की कोई दुर्घटना होने पर बीमा कंपनियां भी मुआवजा देने से इनकार कर देती हैं. कई दुर्घटनाओं में डिलीवरी एजेंट की मौत भी हो जाती है. Zomato से जुड़े एक व्यक्ति की डिलीवरी करते समय मौत हो गई. ऐसे में इन डिलीवरी कंपनियों को रेगुलेट करने की जरूरत है. 
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