कांग्रेस का आरोप: लॉ एंड ऑर्डर में दखल दे रहे राज्यपाल, जानें पूरा मामला

Update: 2022-04-14 04:35 GMT

चंडीगढ़: पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित लगातार पाकिस्तान की सीमा से सटे जिलों का दौरा कर रहे हैं. इसको लेकर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने अब सवाल खड़े कर दिए हैं. सूबे की सत्ता में रह चुके इन दलों का कहना है कि गवर्नर केंद्र सरकार के इशारे पर बेवजह स्टेट के लॉ एंड ऑर्डर में दखल दे रहे हैं. पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को इसका विरोध करना चाहिए.

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब के सीमावर्ती जिलों फाजिल्का, फिरोजपुर, अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर आदि का दौरा किया है और वहां पर सुरक्षा के मद्देनजर आला अधिकारियों की बैठकें भी ले चुके हैं. इन बैठकों के बाद अमृतसर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्यपाल ने कहा था कि पंजाब को केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ सीमा सुरक्षा के मुद्दे को लेकर और भी अधिक को-आर्डिनेशन की आवश्यकता है.
शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि राज्यपाल ऐसा केंद्र सरकार के इशारे पर कर रहे हैं. लॉ एंड ऑर्डर एक स्टेट इश्यू है और ऐसे में गवर्नर बेवजह उसमें दखल दे रहे हैं और पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार को इसका विरोध करना चाहिए. लेकिन ऐसा ना करके पंजाब सरकार केंद्र के सामने कमजोर होती हुई दिखाई दे रही है.
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता मलविंद्र सिंह कंग का इस मामले में कहना है कि राज्यपाल के सीमावर्ती जिलों की सुरक्षा का जायजा लेने और वहां पर अधिकारियों के साथ बैठक करने को लेकर पंजाब सरकार को कोई भी दिक्कत नहीं है और फाजिल्का में तो खुद सीएम भगवंत मान भी राज्यपाल के साथ मौजूद थे. आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता मलविंद्र सिंह कंग ने कहा कि ये हालात दिल्ली के जैसे नहीं हैं, जहां पर उपराज्यपाल के द्वारा दिल्ली सरकार के कामकाज में लगातार दखल दिया गया था. लेकिन यहां पर राज्यपाल सरकार के कामकाज में कोई दखल नहीं दे रहे है और अपने संवैधानिक अधिकारों के मुताबिक ही सीमा से सटे जिलों का दौरा करके वहां की सुरक्षा की चर्चा उन जिलों के अधिकारियों के साथ कर रहे हैं और पंजाब सरकार को इस पर कोई ऐतराज नहीं है.
पंजाब बीजेपी ने भी कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद पर बैठे हैं और उन्हें संविधान में अधिकार है कि वह किसी भी मुद्दे को लेकर पूरे राज्य में कहीं भी दौरा कर सकते हैं और अधिकारियों से मिल सकते हैं. लेकिन शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस जैसी पार्टियां बेवजह ही इस मुद्दे में विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं. 
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