कॉलेजियम ने 68 जजों को 12 हाईकोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश की, पढ़े पूरी रिपोर्ट

Update: 2021-09-06 09:56 GMT

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (supreme court collegium) ने 68 जजों को 12 हाईकोर्ट में नियुक्त करने की सिफारिश भेज दी है, उम्मीद है कि एक-दो दिनों में उन पर केंद्र सरकार अपनी मंजूरी की मुहर भी लगा दे. लेकिन लंबित मुकदमों के लगातार बढ़ते अंबार और हाईकोर्ट्स में जजों के खाली पदों की लगातार लंबी होती सूची का तकाजा तो यही है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को ऐसी ही रिकॉर्ड सिफारिशें कई बार करनी होंगी तब जाकर कुछ राहत मिलेगी.

रिकॉर्ड बताते हैं कि ये नियुक्तियां हो भी जाएं तो अधिकतर हाइकोर्ट्स जजों की स्वीकृत संख्या के मुकाबले कम से कम चालीस फीसदी कमी में ही रहेंगे. क्योंकि देश के बड़े हाईकोर्ट्स में अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही देखें तो कुल जजों की स्वीकृत संख्या है 160 लेकिन 68 जजों की कमी है. इन नियुक्तियों के बावजूद बड़ा गैप रहेग कलकत्ता हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या है 72 लेकिन हैं सिर्फ आधे यानी 36 ही हैं.
25 हाईकोर्ट में जजों के 1089 पद स्वीकृत हैं
बॉम्बे हाईकोर्ट में भी कमोबेश यही हाल है, कुल 94 जजों की स्वीकृत संख्या में 33 पद खाली हैं. दिल्ली हाईकोर्ट भी आधी क्षमता के साथ 60 में से सिर्फ 29 जजों से काम चला रहा है. पटना हाईकोर्ट में 53 में से 34 पद खाली हैं. राजस्थान हाईकोर्ट में जजों के पचास पद हैं लेकिन 23 जज ही अभी नियुक्त हैं.
तेलंगाना हाईकोर्ट में कुल 42 जजों के स्वीकृत पदों में से 27 कम हैं तो गुजरात हाईकोर्ट में भी 52 में से अभी सिर्फ 26 जजों से ही काम चल रहा है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 53 पदों में से 24 खाली हैं तो देश के पुराने और बड़े हाईकोर्ट में शुमार पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कुल स्वीकृत 80 जजों के पदों में से 40 खाली हैं. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में खाली पदों का आंकड़ा सबसे खराब है. यहां कुल 38 पदों में से 18 खाली हैं.
देश में 25 हाईकोर्ट में जजों के 1089 पद स्वीकृत हैं. लेकिन इनमें से अभी तक 465 पद खाली हैं. यानी कॉलेजियम की ताजा सिफारिशों के अनुसार सभी मान भी ली गईं तो करीब चार सौ पद अब भी खाली रहेंगे. जबकि जजों का रिटायरमेंट तो तय समय पर हो रहा है और मुकदमों की फाइलों का अंबार भी बढ़ रहा है.



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