संयोग या फिर किस्मत: सब इंस्पेक्टर की बेटी बनी DSP, ड्यूटी के दौरान कई बार हुआ दोनों का आमना-सामना, पढ़े सफलता की पूरी कहानी
Shabera Ansari Success Story:19 साल की उम्र में रिश्ता आया. उस समय वह पढ़ रही थीं. इतनी जल्दी शादी को लेकर मन में डर बैठ गया और मना कर दिया. इसके बाद पढ़ाई शुरू की और ऐसी सफलता हासिल कर डाली, जिसके लोग उदाहरण देते हैं. न सिर्फ मुस्लिम समाज बल्कि हर किसी के लिए वह प्रेरणा श्रोत बनी हुई हैं. ये कहानी मध्य प्रदेश की शाबेरा अंसारी की है. शाबेरा अंसारी मध्य प्रदेश में DSP हैं. दिलचस्प ये है कि शाबेरा के पिता मध्य प्रदेश के ही पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर हैं. कई मौकों पर ऐसा होता है जब बेटी और पिता एक साथ ड्यूटी पर होते हैं. ड्यूटी के दौरान पिता शबेरा को प्रोटोकॉल के अनुसार सैल्यूट भी करते हैं.
इंदौर निवासी शाबेरा अंसारी Shabera Ansari मध्य प्रदेश के देवास में डीएसपी महिला प्रकोष्ठ पद पर तैनात हैं. पिता इंदौर के ही एक थाने में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. शाबेरा अंसारी की जिंदगी शुरूआत से सामान्य रही, वहीं कभी ज्यादा बड़े सपने भी नहीं रहे. स्कूल खत्म करने के बाद जब कॉलेज में गईं तो 19 साल की उम्र में शादी के रिश्ते आने लगे और मन में ऐसा डर बैठा कि उस डर के कारण आज डीएसपी पद पर तैनात है और फिलहाल यूपीएससी की तैयारी भी कर रही है.
शाबेरा ने मध्य प्रदेश के इंदौर में सरकारी स्कूल से कुछ साल पढ़ाई की और सरकारी कॉलेज से बीए किया और कॉलेज वक्त से ही पीएससी की तैयारी शुरू की. शाबेरा 2013 में सबइंस्पेक्टर पद पर सेलेक्ट हुई और 2018 में उनकी तैनाती सीधी में प्रशिक्षु डीएसपी पद पर हुई. शाबेरा का परिवार मूलरूप से उत्तर प्रदेश के बलिया का रहने वाला है लेकिन पिता की पुलिस में नौकरी के कारण करीब 30 साल पहले इंदौर बस गए. शाबेरा को पढ़ाई करने का बहुत शौक है, यही वजह है कि वह अब भी यूपीएससी की तैयारियों में लगी हुई हैं.
शाबेरा अंसारी ने बताया, मैं स्कूल वक्त से सामान्य अंक प्राप्त करने वाली छात्रा रही. एक बार गणित में फेल भी हुई. 19 साल की उम्र में रिश्ता आया तो मन मे डर बैठ गया. उसके बाद कुछ करने की ठानी और मुड़ कर नहीं देखा. कॉलेज वक्त के दौरान पीएससी की पढ़ाई शुरू की और पहली परीक्षा में उसे क्लीयर भी कर दिया और उस वक्त से अब तक मैं पढ़ाई करती आ रही हूं.
शाबेरा ने आगे बताया, मेरी मां ने हमेशा मुझे स्पोर्ट किया. शुरूआती दौर में जहन में नहीं था कि पुलिस विभाग में ही जाना है. घर में पिता पुलिस में होने के कारण बस थोड़ी दिलचस्पी हमेशा रही. शाबेरा अपने पूरे खानदान में पहली महिला है जो सिविल सर्विसेज में है. शाबेरा अपने पूरे परिवार और समाज के लिए अब एक प्रेरणा बन चुकी हैं.
शाबेरा से परिवार के अन्य बच्चे भी उनकी पढ़ाई के बारे में पूछते हैं वहीं किस तरह वह भी यहां तक पहुंचे इसकी जानकारी भी लेते हैं. शाबेरा स्कूली कार्यक्रमो में भी जाती हैं और बच्चों को प्रोत्साहित करतीं हैं. स्थानीय स्कूल और अन्य संस्थानों की तरफ से उन्हें बुलाया भी जाता है.
Shabera Ansari कहती हैं कि स्कूल्स में जाकर कार्यक्रमों में बच्चों का प्रोत्साहन बढ़ाने की कोशिश करती हूं. जिंदगी मे किस तरह आगे बढ़ना है ये बताने का भी प्रयास रहता है. हालांकि कार्यकमों में छोटेछोटे बच्चे उनके साथ सेल्फी भी लेते हैं वहीं उनकी तरह कैसे बना जाए इसकी जानकारी भी लेते हैं. मुस्लिम समाज से होने के कारण उनके पास समाज के ही जानकारों के भी फोन आते रहते हैं. ताकि वह उनके कार्यक्रम में जाकर समाज के बच्चों को प्रोत्साहित करें.
DSP Shabera Ansari कहती हैं कि मुस्लिम समाज के बच्चों को भी अक्सर मैं समझाती रहती हूं खासतौर पर लड़कों को. मैं सभी से यही कहती हूं कि खुद पर भरोसा रखो और मन से पढ़ाई करो, मेहनत जरूर लंग लाएगी. शाबेरा को अपने पिता से भी काफी सीखने को मिला, अब इसे संयोग कहे या नहीं, लेकिन लॉकडाउन के दौरान शाबेरा जिस थाने की प्रभारी रही उसी थाने में उनके पिता सेवा दे चुके हैं.
हालांकि, पिता के साथ काम कर उन्होंने उनसे काफी कुछ सीखा और साथ ही एक प्रकरण को भी सुलझया था. दोनों रात में गश्त पर पर भी निकला करते थे, हालांकि बेटी घर पहुंचने पर अपने पिता को खाना बना कर भी खिलाया करती थी. हालांकि बिटिया के डीएसपी बनने के बाद अब पिता उन्हें अधिकारी की नजर से देखते हैं और उनसे उसी तरह बात करते हैं. शाबेरा अपने पिता को कई बार कह चुकीं है कि वह अधिकारी बाहर है घर पर नहीं.