पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर की महापंचायत से किसान नेताओं ने उत्तर प्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट से चोट देने का ऐलान किया था. किसान आंदोलन की नाराजगी और जाट वोटों के कटने के काट की तलाश में जुटी बीजेपी पश्चिम यूपी में छोटी-छोटी जातियों को सहेजने में लगी है. इसे अमलीजामा पहनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया है. मंगलवार को सीएम योगी ने मुरादाबाद में धनगर समाज को साधने की कवायद की तो बुधवार को उन्होंने गुर्जरों को सियासी संदेश दिया.
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत को जाट समुदाय सीधे तौर पर प्रभावित करता है. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद बीजेपी जाटों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही थी. बीजेपी ने पश्चिम यूपी में ठाकुर, ब्राह्मण, त्यागी, वैश्य समाज के साथ-साथ जाट और गुर्जर जैसी जातियों को अपने पक्ष में लामबंद किया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सियासी तौर पर जबरदस्त फायदा मिला. 2014-2019 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूरी तरह से विपक्ष का सफाया कर दिया था.
किसान आंदोलन के चलते पश्चिम यूपी में बीजेपी का समीकरण गड़बड़ता नजर आ रहा है. जाति की सियासत से परहेज का दावा करने वाली बीजेपी ने अब खुल्लम-खुल्ला जाति का कार्ड खेलना शुरू कर दिया है. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी ने पहले अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के जाट समाज से होने की याद दिलाकर उनके नाम पर युनिवर्सिटी का शिलान्यास किया. इसका सीधा मतलब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल जनसंख्या के 17 फीसदी से ज्यादा जाट किसानों को अपनी तरफ लाना है.