गोरखनाथ विवि का उद्घाटन समारोह पर सीएम योगी ने जनता को किया संबोधित, कहा- 'राष्ट्रपति की संकल्पना हुई साकार'
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोगो (प्रतीक चिह्न) में ऋग्वेद के पंचम मंडल का मंत्र स्वस्ति पंथामनुचरेम संस्था का उद्देश्य स्पष्ट कर देता है।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोगो (प्रतीक चिह्न) में ऋग्वेद के पंचम मंडल का मंत्र स्वस्ति पंथामनुचरेम संस्था का उद्देश्य स्पष्ट कर देता है। यानी हम सब सूर्य और चंद्र की तरह लोकमंगल गामी बनें। लोक कल्याण के पथ के अनुगामी बनें। यानी हम सबका ध्येय लोगों का कल्याण होना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह बात महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के उद्घाटन समारोह में कही।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महराणा प्रताप शिक्षा परिषद हो या गोरखनाथ विश्वविद्यालय यहां दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ कहे जाने वाले ऋगवेद के मंत्र को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए हम लोक मंगल लोक कल्याण के लिए अपने आप को समर्पित कर कार्य करेंगे
विश्वविद्यालय को ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ द्वारा शुरू की गई मुहिम की परिणति करार देते हुए उन्होंने कहा कि जब देश परतंत्र था उस काल खंड में 1932 में ब्रहमलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज ने गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना करके पूर्वांचल के शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए इस क्षेत्र में शिक्षा की ज्योत जलाई।
1932 से प्रांरभ हुई यह यात्रा को आगे बढ़ाते हुए महंत अवेद्यनाथजी महाराज ने गोरक्षपीठ की स्थापना को जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जागरण के साथ ही सेवा, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में भी लोक कल्याण के पथ पर आगे बढ़ा सके। कहा कि नवसृजित महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यलय का उद्घाटन दिसंबर 2018 में महराणा प्रताप शिक्षा परिषद के मुख्य समारोह राष्ट्रपति द्वारा की गई उस उद्घोषणा का हिस्सा है जिसमें उन्होंने गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज बनाने का संकल्प गोरखपुर वासियों को दिया था। यह अद्भुत घटना है कि एक विश्वविद्यालय का उद्घाटन और एक विश्वविद्यालय का शिलान्यास राष्ट्रपति द्वारा किया गया। यह सबकुछ सिटी और नॉलेज की संकल्पना को साकार करने का हिस्सा है।
नई शिक्षा नीति को लागू कराने का संकल्प जताते हुए कहा कि हम सबका सौभाग्य है कि जब पूरी दुनिया कोरोना से पस्त है तो अपने चरणेति चरणेति मंत्र को साकार करते के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस देश को नई शिक्षानीति दी। नई शिक्षा नीति में न केवल शासन के स्तर पर बल्कि निजी क्षेत्र की भागेदारी, और उसमें भी धर्मार्थ संस्थाओं की भूमिका के माध्यम से जो व्यवसायिकता से दूर रहते हुए विशुद्ध सेवा भाव के साथ शिक्षा चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं उनके लिए अनेक प्रकार से आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करती है।
नई शिक्षा नीति की संकल्पना को साकार करने के लिए ही गोरक्षपीठ श्रीगोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट के द्वारा इस अभियान का हिस्सा बन कर कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है। यह विवि अपने पहले ही शिक्षा सत्र में नर्सिंग के विभिन्न पाठ्यक्रमों के साथ ही आयुर्वेद और पैरामेडिकल कोर्स भी शुरू करने जा रहा है। उन्होंने विश्वविद्यालय के सफल संचालन के लिए शिक्षण और शिक्षणेतर स्टाफ का आभार प्रकट किया और आने वाले पांच वर्ष में विश्वविद्यालय में शुरू होने वाले अन्य कोर्स के लिए शुभकामनाएं दीं।