आवेश में सीएम उद्धव ठाकरे बोले- मैं नामर्द नहीं...चिता पर रोटियां सेंकते हो तुम्हारी औकात क्या है?'
मुंबई। भारतीय जनता पार्टी और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के बीच खींचतान एक बार फिर सामने आई है। सुशांत सिंह राजपूत मुद्दे को लेकर लंबे समय तक दोनों के बीच चली तकरार बीते कुछ दिनों से शांत थी लेकिन उद्धव ने एक इंटरव्यू में मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि शांत हूं, संयमी हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नामर्द हूं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे का इंटरव्यू छापा गया है। इसमें उन्होंने कहा है, 'मैं शांत हूं, संयमी हूं लेकिन इसका मतलब मैं नामर्द नहीं हूं और इस प्रकार से हमारे लोगों के परिजनों पर हमले शुरू हैं। ये तरीका महाराष्ट्र का नहीं है। बिल्कुल नहीं है। एक संस्कृति है। हिंदुत्ववादी कहे जाने के बाद एक संस्कृति हैं और आप परिवार पर आओगे, बच्चों पर आनेवाले होंगे तो हम पर हमला करनेवाले जिस-जिस का परिवार और बच्चे हैं उन्हें मैं कहना चाहता हूं कि आप का भी परिवार है और बच्चे हैं। आप दूध के धुले नहीं हो। आपकी खिचड़ी कैसे बनानी है ये हम बनाएंगे।'
सुशांत मुद्दा पर:'विकृत से भी गंदी राजनीति, यही औकात है'
सुशांत सिंह राजपूत मामले में केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के बीच चले घमासान पर उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मैं उनकी तरफ करुणा भरी नजर से देखता हूं। क्योंकि जिन्हें लाश पर रखे मक्खन बेचने की जरूरत पड़ती है, वे राजनीति करने के लायक नहीं हैं। दुर्भाग्य से एक युवक की जान चली गई। उस गई हुई जान पर आप राजनीति करते हो? कितने निचले स्तर पर जाते हो? यह विकृति से भी गंदी राजनीति है। जिसे हम मर्द कहते हैं, वो मर्द की तरह लड़ता है। दुर्भाग्य से एक जान चली गई, उस गई हुई जान पर आप राजनीति करते हो? उस पर अलाव जलाकर आप अपनी रोटियां सेंकते हो?… यह आपकी औकात है?'
महाराष्ट्र में सीबीआई के बैन पर उद्धव ने कहा की सीबीआई का दुरुपयोग होने लगे तब ऐसी नकेल लगानी ही पड़ती है। हम नाम देते हैं, हमारे पास नाम हैं। माल-मसाला तैयार है। पूरी तरह से तैयार है लेकिन बदले की भावना रखनी है क्या? फिर जनता हमसे क्या अपेक्षा रखेगी। बदले की भावना से ही काम करना है तो तुम एक बदला लो हम दस लेंगे।
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'महाराष्ट्र ने मरी हुई मां का दूध नहीं पिया है। बाघ की संतान हैं। कोई भी महाराष्ट्र के आड़े आएगा या फिर दबाने की कोशिश करेगा तो क्या होगा, इसका इतिहास में उदाहरण है। आपके पास प्रतिशोध चक्र है, हमारे पास सुदर्शन चक्र है। हम पीछे लगा सकते हैं।'