राज्यपाल ने कहा, "बंगाल के कानून के अनुसार शासन नहीं होने पर मैं कदम उठाऊंगा. ममता बनर्जी ने संविधान के अनुसार काम करने की शपथ ली है. ममता बनर्जी से सवाल करता हूं कि ऐसा क्या उन्होंने लिखा है कि जो संविधान के अनुसार नहीं है. गलत भाषा का इस्तेमाल किया है. मैं बंगाल में निवेश चाहता हूं, लेकिन निवेश तभी आएगा, जब कानून का शासन हो. चुनाव के बाद हिंसा की शर्मनाक घटना घटी है. इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने जांच की थी."
राज्यपाल ने कहा, " कानून का राज नहीं है. शासन का राज है. यह व्यवस्था मानवता के सिद्धांत पर कुठराघात हुआ है. वह आरोप लगा रही हैं. राजभवन में टेलीफोन टेप का आरोप लगाया जा रहा है कि वर्तमान सरकार के कारण राज्य के लोग केवल व्हाट्सएप पर फोन करते हैं. सभी को डर है. डर के कारण कोई भी अपनी भावना प्रकट नहीं कर पाते हैं. यह प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है."
राज्यपाल ने सीएम ममता बनर्जी से कहा, "यह आपका तीसरा टर्म है. मुझे गालियों से डर नहीं लगता है. मुझे उनका बहुत सम्मान है. लेकिन जिस तरह से प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए गणतंत्र दिवस पर उन्हें रिसीव नहीं किया. यह देश में कभी नहीं हुआ. आज उनके रियेक्शन पर अचंभित हूं. कोलकाता पुलिस के घोड़ा से तुलना की है. यदि कुछ सही है, तो मुझे लिखे. ढाई साल से आप संवैधानिक नियम के अनुसार 167 के तहत राज्यपाल को सूचना नहीं दी गई है. वित्तीय अनियमितता है. क्यों सूचना नहीं जा रही है. देश में सूचना पाने का अधिकार है, लेकिन आप राज्यपाल को इनकार कर रही हों. ताज बंगाल को लेकर झूठ बोल रही हैं. प्रजातंत्र में केवल बहस और बातचीत ही चलती है. मेरा यह आग्रह स्वीकार किया जाएगा और वह भी इस संबंध में आगे बढ़ेंगे."
बुधवार को राज्यपाल धनखड़ का बिना नाम लिए ममता बनर्जी ने कहा 'घोड़ों का एक झुंड बंगाल भेजा गया है. मैंने गणतंत्र दिवस पर घोड़ों में से एक देखा. वह दिन-रात मेरा अपमान करता है. वह बंगाल में केवल बलात्कार और हत्याएं होते हुए देख सकता है. क्या आप उत्तर प्रदेश में ऐसा होते नहीं देख सकते हैं? वह चाहते हैं कि मैं उनको सब कुछ बताऊ और उनके निर्देशों का पालन करूं. उन्होंने पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को तलब किया है. मुख्यमंत्री को दरकिनार नहीं किया जा सकता है. बीजेपी इस तरह के हथकंडे अपनाकर आगामी निकाय चुनाव नहीं जीत सकती.