राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 29 मई को दिल्ली बुलाया गया है. सूत्रों के मुताबिक राजस्थान की राजनीति में मची उथल-पुथल, सचिन पायलट और प्रदेश में होने वाले चुनाव को लेकर रणनीति तय करने को लेकर बातचीत के लिए गहलोत को 29 तारीख को दिल्ली आना है.
इससे पहले 27 तारीख को गहलोत को दिल्ली जाना था लेकिन उनका दौरा कथित तौर पर खराब तबीयत के कारण रद्द कर दिया गया. अपने दिल्ली दौरे के दौरान अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे से मिलेंगे. जानकारी के मुताबिक पार्टी नेतृत्व सचिन पायलट को अलग से बातचीत के लिए बुला सकता है. इन दिनों कांग्रेस हर संभव कोशिश में है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच संतुलन बनाकर राजस्थान विधानसभा चुनाव में उतरे, ताकि पार्टी को सियासी नुकसान न हो सके. इसके लिए दोनों नेताओं की दिल्ली में आलाकमान के साथ अलग-अलग बैटकें होनी हैं. गहलोत ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि हम मानते हैं कि पूरी कांग्रेस एकजुट होकर लड़ेगी और हम चुनाव जीतकर आएंगे.
इससे पहले जब 27 मई को गहलोत को दिल्ली आना था, उससे पहले उन्होंने मीडिया से बातचीत की थी. सीएम गहलोत ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि 'हमारे यहां तो अनुशासन होता है. एक बार हाईकमान जो तय कर देता है, उस फैसले को सब मानते हैं. पहले सोनिया गांधी थीं, अब खड़गे साहब और राहुल गांधी हैं. ये नेता जब एक बार फैसला कर लेते हैं तो सभी लोग उनके फैसले को मानते हैं और सब अपने-अपने काम पर लग जाते हैं. दिल्ली में होने वाली बैठक पर उन्होंने कहा कि हम चाहेंगे कि बैठक में सब अपने-अपने सुझाव देंगे. उसके बाद हाईकमान के जो निर्देश होंगे, वह मानेंगे.'
बता दें कि सचिन पायलन ने भ्रष्टाचार और पेपर लीक मामले को लेकर मोर्चा खोल रखा है. 31 मई तक गहलोत सरकार पर पायलट की मांगों पर एक्शन लेने का दबाव है. साथ ही पायलट और उनके खेमे के कांग्रेस विधायकों ने ऐलान कर रखा है कि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो प्रदेश भर में गांव-ढाणी तक जाकर आंदोलन करेंगे. इस तरह से पायलट के विधायकों ने स्पष्ट कर रखा है कि अब याचना नहीं रण होगा. ऐसे में कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में किसी तरह की कोई रिस्क लेने के चक्कर में नहीं है. इसीलिए गहलोत और पायलट के बीच सुलह-समझौते की कोशिश हो रही है.