दसवीं की छात्रा ने फूल बेचकर खरीदा स्मार्टफोन, परेशानियों को टक्कर देकर कायम की मिसाल
जहां चाह है वहां राह है. पढ़ाई करने का जज्बा हो तो तमाम परेशानियों के बावजूद रास्ता निकाला जा सकता है. ऐसी ही मिसाल कायम की है ओडिशा के नक्सल प्रभावित मलकानगिरी जिले में रहने वाली सीमा मदकामी ने. कोया आदिवासी समूह से ताल्लुक रखने वाली सीमा दसवीं की छात्रा है. सीतागुडा राजकीय एसएसडी स्कूल में पढ़ने वाली सीमा के लिए पिछले साल कोरोना महामारी की दस्तक के बाद दिक्कतें शुरू हो गईं. लॉकडाउन की वजह से स्कूल बंद होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई ही शिक्षा का एकमात्र जरिया रह गया. लेकिन सीमा के परिवार की माली हालत ऐसी नहीं थी कि उसे मोबाइल फोन खरीद कर दिया जा सकता. ऐसे में सीमा की ऑनलाइन क्लासेज मिस होने लगीं.
सीमा ने पहले सोचा कि थोड़े वक्त की बात है महामारी खत्म होने के बाद फिर सब कुछ सामान्य हो जाएगा और उसकी पढ़ाई फिर शुरू हो जाएगी. लेकिन लॉकडाउन लंबा चला. कुछ स्थिति बेहतर हुई तो कोरोना की दूसरी लहर आ गई. सीमा को फिर ये डर सताने लगा कि ऐसे हालात में उसे भी कहीं अपनी बड़ी बहन जैसा ही फैसला न लेना पड़ जाए. सीमा की बड़ी बहन को घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. सीमा पढ़ाई छोड़ने को कतई तैयार नहीं थी. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन जरूरत बन चुका था. पिछले साल सितंबर मे उस वकत सीमा को आस बंधी थी जब मलकानगिरी जिले के स्वाभिमान अंचल में पहली बार मोबाइल कनेक्टिविटी आई. उस वक्त राज्य सरकार ने स्वाभिमान अंचल के सभी परिवारों को स्मार्टफोन्स मुफ्त देने का एलान किया. लेकिन सीमा को स्मार्टफोन नहीं मिल पाया क्योंकि उसका गांव स्वाभिमान अंचल में नहीं आता.
ये गांव घने जंगल के पास है. सीमा ने ये देखा हुआ था कि कुछ लोग घने जंगल के अंदर जाकर महुआ के फूल लेकर आते हैं. इन फूलों को बेचने के साथ तमाम तरह के खाद्य पदार्थ और दवाएं बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. सीमा ने भी जंगल में जाकर महुआ के फूल ढूंढना कर दिया. वो इन फूलों को सुखाती और फिर बेचती. ऐसा करने से जो पैसे मिलते वो उसे जोड़ती गई. हालांकि, स्मार्टफोन चार्ज करने की अब भी सीमा के सामने समस्या है. बिजली नहीं होने की वजह से उसे हर बार स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए गांव से कुछ किलोमीटर दूर जाना होता है.
महुआ के फूलों का इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है. आदिवासी इन फूलों का इस्तेमाल खमीर और बिना खमीर वाले खाद्य पदार्थों के लिए करते हैं. बिना खमीर वाले पदार्थों में हलवा, मीठी पूरी, बर्फी बनाई जाती है. जबकि खमीर वाले पदार्थों में महुआ दारू और महुली शामिल है. महुआ के फूलों में औषधीय गुण भी भरपूर होते हैं. इनका इस्तेमाल सिरदर्द, डायरिया, त्वचा और आंखों की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है.