भुवनेश्वर। भुवनेश्वर और बरहामपुर में मंगलवार को चंद्र ग्रहण के दौरान बिरयानी भोज के आयोजन के बाद तर्कवादियों और कर्मकांडियों के बीच झड़प हो गई। इससे पहले भी बुद्धिवादियों ने सूर्य ग्रहण के दौरान इसी तरह की बिरयानी दावत का आयोजन किया था। पुरी शंकराचार्य सहित कई हिंदू नेताओं ने इसका कड़ा विरोध किया था।
कर्मकांडियों को चुनौती देते हुए तर्कवादियों ने खुले तौर पर घोषणा की कि वे मंगलवार को चंद्र ग्रहण पर वैसा ही दावत देने जा रहे हैं। पहली घटना बरहामपुर से सामने आई, जहां तर्कवादियों ने समाज को यह संदेश देने के लिए एक सामुदायिक भोज का आयोजन किया कि वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार कोई भी सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय कुछ भी खा सकता है।
उन्होंने कहा कि लोगों को वैज्ञानिक सोच के प्रति जागरूक करने और अंधविश्वास को मानने से रोकने के लिए दावत का आयोजन किया गया था। इस कदम का विरोध करने के लिए कर्मकांडियों के एक समूह के मौके पर पहुंचने पर तनाव फैल गया। मामला बिगड़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। लोहिया अकादमी में भी चंद्र ग्रहण के दौरान खाने-पीने को लेकर ऐसी ही स्थिति हुई। जब तर्कवादी दावत का आयोजन कर रहे थे, बजरंग दल के सदस्य मौके पर पहुंचे और चंद्र ग्रहण के दौरान पके हुए भोजन के सेवन का विरोध किया, जो हिंदू परंपरा में सदियों पुरानी मान्यता है।
तर्कवादी भालचंद्र सारंगी ने कहा, "हम विज्ञान में विश्वास करते हैं, अंधविश्वास में विश्वास नहीं करते। चूंकि वे विज्ञान के माध्यम से कुछ भी साबित नहीं कर सकते, वे हम पर हमला करने के लिए यहां आए हैं।" एक अन्य तर्कवादी ने कहा कि अगर कर्मकांडियों के पास साबित करने के लिए कुछ है, तो उन्हें स्वस्थ बहस के लिए आगे आना चाहिए। ओडिशा मंदिर सेवक संघ के अध्यक्ष कामेश्वर त्रिपाठी ने कहा, "वे चंद्र ग्रहण पर बिरयानी उत्सव की मेजबानी करके हमारी परंपरा के खिलाफ काम कर रहे हैं। हम तर्कवादियों के इस तरह के कदमों का कड़ा विरोध करते हैं।"