चिराग पासवान-पशुपति पारस को EC से लगा झटका, चुनाव चिन्ह बंगले के इस्तेमाल पर लगा रोक

केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक अहम आदेश दिया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का इस्तेमाल और पार्टी के चुनाव चिन्ह बंगले के इस्तेमाल पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है.

Update: 2021-10-02 12:49 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- लोजपा सिंबल फ्रीज: रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी में बेटे चिराग पासवान और रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस के बीच राजनीतिक उत्तराधिकारी और पार्टी पर कब्जे को लेकर जो लड़ाई चल रही है, उसमें केंद्रीय चुनाव आयोग ने एक अहम आदेश दिया है. केंद्रीय चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के नाम का इस्तेमाल और पार्टी के चुनाव चिन्ह बंगले के इस्तेमाल पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है.

केंद्रीय चुनाव आयोग ने चिराग पासवान को और पशुपति पारस को निर्देश दिया है कि वह सोमवार 4 अक्टूबर तक यह बताएं कि ऐसी स्थिति में वह अपने दल को 30 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा उपचुनावों के लिए किस नाम से मान्यता दिलवाना चाहते हैं. इसके साथ ही दोनों गुटों को केंद्रीय चुनाव आयोग को बताना होगा कि वह उपचुनावों में किस चुनाव चिन्ह के साथ चुनावों में उतरना चाहते हैं. इसके लिए चिराग पासवान को और पशुपति पारस को दोनों को केंद्रीय चुनाव आयोग को 4 अक्टूबर तक 3 संभावित चुनाव चिन्ह के बारे में बताना होगा. जिसके बाद केंद्रीय चुनाव आयोग अंतिम फैसला लेगा कि किस गुट को कौन सा चुनाव चिन्ह देना है.
केंद्रीय चुनाव आयोग का यह आदेश इस वजह से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में 2 विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं. ऐसे में केंद्रीय चुनाव आयोग के इस आदेश से साफ है कि कोई भी गुट लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से इन चुनावों में शिरकत नहीं कर सकेगा.
चिराग पासवान ने केंद्रीय चुनाव आयोग को 29 सितंबर को एक चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि केंद्रीय चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करें कि पशुपति पारस गुट आगामी विधानसभा उपचुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह इस्तेमाल कर अपना उम्मीदवार नहीं उतारे क्योंकि मामला अभी चुनाव आयोग के पास लंबित है. वही पशुपति पारस गुट ने चुनाव आयोग के पास पहुंचे विवाद में जवाब देने के लिए कुछ हफ्तों की मांग की है. इसके बाद केंद्रीय चुनाव आयोग ने फिलहाल आगामी चुनावों को देखते हुए यह अंतिम आदेश जारी किया है.
गौरतलब है कि रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद उनके बेटे और रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस के बीच पार्टी पर कब्जे को लेकर विवाद काफी बढ़ गया था. जिसके बाद दोनों ही गुटों ने केंद्रीय चुनाव आयोग में याचिका दायर कर उनके गुट को लोक जनशक्ति पार्टी के तौर पर मान्यता देने की मांग की थी फिलहाल दोनों ही गुटों की याचिका केंद्रीय चुनाव आयोग के सामने लंबित है.


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