चीन की बढ़ी टेंशन: कोरोना वायरस को लेकर भारतीय कपल ने किया पर्दाफाश, आइए जानते हैं इसके बारे में...

Update: 2021-06-05 08:55 GMT

नई दिल्ली:- "हम यहां कैसे पहुंचे?" यह एक ऐसा गूढ़ सवाल नहीं है जिस पर सिर्फ कॉलेज के छात्र ही विचार करें। यह एक ऐसा सवाल रहा है जिस को लेकर एक भारतीय पिछले साल से छटपटा रहा है। इस सवाल में यहां का मतलब कोविड-19 की उत्पत्ति से है। इस व्यक्ति ने ट्विटर पर TheSeeker268 से संपर्क साधा। यह DRASTIC ग्रुप का हिस्सा है कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर ठोस सबूत जुटाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। यह इंटरनेट पर गुमनाम लोगों का एक ग्लोबल ग्रुप है।

इन लोगों का मानना है कि कोरोना वायरस चीन के मछली बाजार से नहीं बल्कि वुहान की लैब से निकला है। इनकी इस थ्योरी को पहले षड्यंत्र बताकर खारिज कर दिया गया था। लेकिन इसने अब दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस मामले की जांच के आदेश दे दिए है।
पुणे में रहने वाले साइंटिस्ट कपल डॉ. मोनाली सी राहलकर और डॉ. राहुल बाहुलिकर भी इसी ग्रुप का हिस्सा हैं। ये लोग चीनी डॉक्यूमेंट को ट्रांसलेट कर अपने स्तर पर इस रहस्य की सावधानी से जांच कर रहे हैं। तो आखिर वह थ्योरी क्या है जिसे DRSTIC ने प्रस्तावित किया है। चाइनीज एकेडमिक पेपर और गुप्त दस्तावेजों के अनुसार इसकी शुरुआत साल 2012 से होती है। उस समय छह खदान श्रमिकों को यन्नान के मोजियांग में उस माइनशाफ्ट (खदान तक जाने की सुरंग या संकरा रास्ता) को साफ करने भेजा गया था जहां चमगादड़ों का आतंक था। उन श्रमिकों की वहां मौत हो गई।
साल 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) के डायरेक्टर डॉ. शी झेंगली और उनकी टीम माइनशाफ्ट से सैंपल को अपने लैब लेकर आ गई। शी का कहना है कि श्रमिकों की मौत गुफा में मौजूद फंगस की वजह से हो गई। इसके उलट DRASTIC का दावा है कि शी को एक अज्ञात कोरोना स्ट्रेन मिला जिसे उन लोगों ने RsBtCoV/4491 का नाम दिया।
संडे टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के साल 2015-17 के पेपर में इस का विस्तार से जिक्र किया गया है। ये बहुत ही विवादित प्रयोग थे जिन्होंने वायरस को बहुत अधिक संक्रामक बना दिया। यह थ्योरी बताती है कि एक लैब की गलती कोविड-19 के विस्फोट का कारण बनी।


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