चीन सीमा: भारतीय वायुसेना की महिला पायलटों ने भरी हुंकार, फाइटर एयरक्राफ्ट और चॉपर्स उड़ा रही

Update: 2022-09-27 05:55 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र सियाचिन (Siachen) हो या फिर अरुणाचल प्रदेश का खतरनाक पहाड़ी इलाका विजयनगर (Vijaynagar), भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की महिला पायलट अपनी शक्ति से देश का सर फक्र से ऊंचा कर रही हैं. भारतीय वायुसेना में इस समय 1300 महिला अधिकारी ग्राउंड और एयर ड्यूटी कर रही हैं. आइए जानते हैं कि सीमाओं पर सैनिकों की मदद कर रहीं इन वीरांगनाओं की क्या कहानी है.

सुखोई Su-30MKI फाइटर जेट की पहली वेपन सिस्टम ऑपरेटर फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी ने कहा कि हमारी सेना में एक से एक बुद्धिमान महिलाएं हैं, जिन्होंने पुरानी धारणाओं को तोड़ा है. अपने सपने पूरे किए हैं. लड़कियों को सपना देखना सिखाया है. देश के लिए कुछ भी करने का हौसला है. बहुत जल्द फाइटर जेट फ्लीट में महिलाएं भी देखने को मिलेंगी. पुरुष और महिलाओं की ट्रेनिंग एक जैसी ही होती है. हम एक बराबर हैं. चाहे आसमान हो या फिर जमीन पर मौजूद बेस. सबसे पहले हम 'वायु योद्धा' (Air Warriors) हैं, बाकी सब इसके बाद आता है.


भारतीय वायुसेना ने सबसे तीन लड़कियों को फाइटर स्ट्रीम में शामिल किया था. ये हैं अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और शिवांगी सिंह. बाद में कांत ने MiG-21 अकेले उड़ाकर नाम कमाया तो शिवांगी सिंह राफेल फाइटर जेट की पायलट बन गईं. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनी अवस्थी और ए नैन अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमाओं के पास LAC के आसपास घने जंगलों में ALH Dhruv हेलिकॉप्टर उड़ाती हैं. पूर्वी कमांड के अधिकारियों ने कहा कि ये महिला वायु योद्धा हमारे लिए बहुत बेहतरीन काम कर रही हैं. ये लोग अपने प्लेन्स को बखूबी उड़ाती हैं. उनका ख्याल रखती हैं.
सरकार की योजना है कि वो सेनाओं में स्त्री शक्ति (Stree Shakti) को आगे बढ़ाए. अग्निवीर स्कीम के तहत भी भर्ती किए जाने की तैयारी है. इंडिया टुडे से बात करते हुए फ्लाइट लेफ्टिनेंट तेजस्वी ने कहा कि भारतीय वायुसेना में हर पायलट किसी न किसी ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए प्रशिक्षित होता है. हम पूर्वी और उत्तर-पूर्वी इलाकों में सॉर्टी करते हैं. हम किसी भी तरह की चुनौती या काम के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. तेजस्वी Su-30MKI फाइटर जेट के पिछले कॉकपिट में बैठती हैं. वहीं से उसके सेंसर्स और हथियारों के पैनल को संभालती हैं.


तेजस्वी कहती हैं कि ऑपरेशन के समय हम जो काम करते हैं, वही हमें लगातार ट्रेनिंग में सिखाई जाती है. इसलिए हमारे दिमाग में हमेशा ऑपरेशन या मिशन ही चलता रहता है. वहीं दूसरी फ्लाइट लेफ्टिनेंट साक्श्या बाजपेयी ने कहा कि जब ज्वाइंट ऑपरेशंस होते हैं. या वॉरगेम्स होते हैं ऐसे में फ्लाइट उड़ाना किसी थ्रिल से कम नहीं होता. यहीं पर हम सीखते हैं कि असल युद्ध के दौरान हमें किस तरह से पेश आना है. लगातार ट्रेनिंग मिशन में भाग लेने की वजह से यह पता चलता है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में हम खुद को रख सकते हैं. या फिर क्या कर सकते हैं. तभी तो हम अपने ध्येय वाक्य Touch the Sky with Glory को जी पाएंगे.
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