जीआरपी थाना के अंदर फायरिंग, जानिए क्या है पूरा मामला

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Update: 2023-06-07 15:16 GMT
जबलपुर। शासकीय रेल पुलिस (जीआरपी) थाने के अंदर गत 18 मई को अचानक हुई फायरिंग मामले को स्थानीय स्तर पर दबाने के सभी प्रयास अब विफल हो गये हैं. उच्च अधिकारियों के संज्ञान में मामला आते ही जांच शुरू कर दी गई है. साथ ही थाना के अधिकारी से भी जवाब तलब किया गया है कि वे पूरे मामले को आखिर क्यों दबाने का प्रयास कर रहे थे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन 7 पुलिस कर्मियों को नोटिस दिए गए थे उनके कथनों से ही इस बात की पुष्टि हो गई कि थाने में गोली चली थी. जांच अधिकारी ने बताया कि जल्द ही आरोप तय कर दिए जाएंगे और जांच पूर्ण कर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी. इधर जांच अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है, जहां आरोप तय होना बस बाकी रह गया है, उधर जीआरपी की दो शीर्ष महिला अधिकारी इसी बात की तहकीकात में जुटी हैं कि आखिर थाने में हुई घटना को बाहर पहुँचाने वाला विभीषण कौन है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 18 मई को जब थाना प्रभारी सहित पूरा स्टाफ थाने में मौजूद था, उसी वक्त यह हादसा हुआ. एक आरक्षक ड्यूटी के दौरान थाने लौटकर आया और कुर्सी पर बैठकर लोडेड राइफल कुर्सी से टिकाकर लघुशंका के लिए चला गया. इसी दौरान वहां पहुंच कर बैठे दूसरे नव आरक्षक ने उस राइफल के ट्रिगर को दबा दिया, जिससे जोरदार धमाके साथ चली गोली से पूरे थाने का स्टाफ सन्न रह गया. गोली चलने का आवाज सुनकर स्टेशन के यात्रियों का भी थाने के सामने हुजूम लग गया.
सूत्रों के अनुसार डांट फटकार और समझाइश के बाद मामले में लीपापोती शुरु हो गई. किसी तरह मामला स्पेशल डीजी रेल सुधीर कुमार साही के संज्ञान में आने के बाद उनके निर्देश पर डीएसपी लोकेश कुमार मार्को को जांच सौंपी गई. जिन्होंने जीआरपी थाने में पदस्थ 7 पुलिस कर्मियों सउनि महेन्द्र सिंह धुर्वे, प्र. आर. 203 रामसहोदर, आर. 90 नारायण मिश्रा, आर. 215 शाहरुख खान, प्र. आर. 281 विनोद तिवारी तथा प्र. आर. 281 विनोद के नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.
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