छत्तीसगढ़: रोजगार की तलाश में मजदूर हो रहा है प्रताड़ित, ठेकेदार ने पैसे नहीं दिए पैदल लौटते समय एक की मौत

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Update: 2021-10-12 18:17 GMT

रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर जाने वाले मजदूर प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। पलायन के परिणाम की एक ऐसी खौफनाक तस्वीर फिर सामने आई है जब खाली जेब भूखे प्यासे पैदल चलकर तमिलनाडु से जशपुर जिले के बगीचा लौट रहे एक मजदूर की रास्ते में मौत हो गई। 25 दिन से मजदूर की लाश तमिलनाडु के ही एक अस्पताल के फ्रीजर में पड़ी है। दूसरे मजदूर ने वहां से जब इस घटना की जानकारी दी तो जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है।

बगीचा से पुलिस व प्रशासनिक कर्मचारियों की एक टीम मृत मजदूर के परिवार के सदस्यों काे लेकर तमिलनाडु के लिए रवाना हो रही है, इधर श्रम विभाग ने तमिलनाडु के स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर मामले की जानकारी मंगाई गई है। भूख प्यास के कारण मरने वाले मजदूर का नाम कामेश्वर 25 वर्ष है।
यह बगीचा ब्लाक के ग्राम सामरबहार का रहने वाला है। इसके मरने की सूचना बगडोल में तमिलनाडु से लौटे मजदूर ने घरवालों काे दी है। बगडोल भी बगीचा विकासखंड का ही गांव है, जो मजदूर तमिलनाडु से लौटकर पहुंचा है। वह कामेश्वर के साथ ही काम कर रहा था और दोनों साथ में एक गैरेज फैक्ट्री से भागे थे और पैसे नहीं होने के करण पैदल वापस लौट रहे थे।
मृत मजदूर कामेश्वर के भाई रामेश्वर का कहना है कि परिवार वालों का कई दिनों से भाई से संपर्क नहीं हो पा रहा था। अचानक उसकी मौत की सूचना मिली है। अस्पताल वालों ने हमें रविवार को फोन किया था। अस्पताल वाले कह रहे थे कि अस्पताल आकर लाश ले जाओ, पर हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम तमिलनाडु़ जाकर लाश वापस ला सकें। रामेश्वर के मुताबिक उसके भाई की लाश तिरूपत्तूर नामक शहर के अस्पताल में फ्रीज में रखा है। लौटे मजदूर ने बताया कि कामेश्वर की मौत के बाद वह पैदल और लिफ्ट मांगकर लौटा।
दो दिन भूखे-प्यासे पैदल चले, शाम को हो गई मौत
लौटे मजदूर का कहना है कि वे सेलम से पैदल चेन्नई निकले थे। दो दिन तक वे भूखे-प्यासे पैदल चले। उन्हें तमिल और वहां के लोग हिन्दी नहीं समझते थे। दो दिन तक दोनों मजदूर भूखे-प्यासे सिर्फ पानी पी-पीकर पैदल चलते रहे। दूसरे दिन शाम के वक्त एक व्यक्ति ने भाषा समझी और भोजन कराया। खाना खाने के बाद कामेश्वर को उल्टियां होने लगीं तो उसे अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में कामेश्वर की मौत हो गई। यह स्थान तिरूपत्तूर है, जहां के अस्पताल में कामेश्वर की मौत हुई।
जेल की धमकी दी तो भागे
मजदूर के अनुसार कामेश्वर के साथ वह तमिलनाडु के सेलम में एक बड़े मोटर गैरेज में काम कर रहा था।काम के बदले में खाना तो मिल जाता था पर मालिक उन्हें मजदूरी नहीं देता था। उसने कह दिया कि यहां सिर्फ खाना मिलेगा पैसे नहीं। अगर फिर से पैसे मांगे तो जेल भेज देंगे। उसने आधार कार्ड और मोबाइल जब्त किए तो वे वहां से भाग निकले।
इधर: बंधुआ मजदूरों के वापस की दो चल रही कार्रवाई
तमिलनाडु से वापस लाए जा रहे 8 बंधुआ मजदूर - 7 अक्टूबर को तमिलनाडु के सेलम से मजदूरों से संपर्क कर खाद्य व श्रम मंत्री अमरजीत भगत को 250 मजदूरों के बंधक बने रहने की सूचना दी थी। विभाग उन्हें वापस लाने में जुटा है। दो दिन पहले 15 मजदूरों को वापस लाया गया है। इसमें जशपुर के 2 मजदूर थे। मजदूरों को वापस लेकर दूसरी गाड़ी सोमवार की देर शाम तक सरगुजा पहुंची। विभाग के मुताबिक मजदूरों की इस खेप में जशपुर जिले के 8 मजदूर हैं। जिन्हें घर भेजा जाएगा।
दो दिन बाद पुणे से चलेंगे 13 बंधुआ मजदूर
कोतबा इलाके के 13 मजदूर पुणे में बंधक बने हुए हैं। उनके परिवार वालों ने शनिवार को कोतबा चौकी क्षेत्र में आवेदन देकर पुलिस से मदद मांगी थी। चौकी प्रभारी सीपी त्रिपाठी का कहना है कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर पुणे के पुलिस प्रशासन से संपर्क कर बंधुआ मजदूरों को छुड़ाने सहयोग मांगा गया है। वहां की पुलिस सहयोग भी कर रही है। दो दिन महाराष्ट्र बंद है। संभावना है कि दाे दिन बाद पुणे में बंधक बने मजदूर जशपुर के लिए रवाना किए जाएंगे।
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