रांची (आईएएनएस)| रांची स्थित पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) कोर्ट में झारखंड की निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोमवार को चार्ज फ्रेम कर दिया गया है। इसके साथ ही अदालत में ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान पूजा सिंघल अदालत में मौजूद रहीं। हालांकि सिंघल फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत के आधार पर जेल से बाहर हैं।
पूजा सिंघल झारखंड की दूसरी आईएएस हैं, जिनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई हुई है। इसके पहले राज्य में हुए दवा घोटाले में पूर्व स्वास्थ्य सचिव डॉ प्रदीप कुमार के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई हुई थी। इस मामले में अदालती कार्यवाही अब भी जारी है।
पीएमएलए कोर्ट के स्पेशल जज पीके शर्मा ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पूजा सिंघल पर लगे आरोपों को पढ़कर सुनाया। अब अदालत में आरोपी के तौर पर उनकी पेशी होगी। इसके पहले इसी कोर्ट ने सिंघल के डिस्चार्ज पिटीशन को बीते 3 अप्रैल को खारिज कर दिया था। सिंघल ने इस पिटीशन में ईडी की ओर से उन पर लगाए चार्ज को निराधार और खुद को निर्दोष बताया था, जबकि ईडी ने डिस्चार्ज पिटीशन का विरोध करते हुए अदालत को बताया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार, साक्ष्य और दस्तावेज हैं।
इसी मामले में पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा के सीए सुमन कुमार और खूंटी विशेष प्रमंडल के पूर्व कार्यपालक अभियंता शशि प्रकाश के खिलाफ भी चार्ज फ्रेम कर दिया गया है। ये दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। शशि प्रकाश ने खुद कोर्ट के समक्ष सरेंडर किया था, जबकि वहीं सुमन कुमार को ईडी ने उनके आवास पर छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया था। ईडी ने सुमन कुमार के आवास से 19 करोड़ से अधिक की रकम बरामद की थी। जांच के बाद ईडी ने चार्जशीट दाखिल की और शशि प्रकाश और सुमन कुमार को मनी लॉन्ड्रिंग का आरोपी बनाया।
बता दें कि मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला झारखंड के खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाले से संबंधित है। साल 2008-09 और 2009-10 में यह मनरेगा घोटाला हुआ था। पूजा सिंघल तब 16 फरवरी 2009 से 19 जुलाई 2010 तक खूंटी की डीसी थीं।