चंद्रयान-3 इसरो द्वारा पोषित वैश्विक संबंधों का एक प्रमाण

Update: 2023-08-27 09:27 GMT
नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की सफलता जहां इसरो की तकनीकी क्षमताओं का शानदार प्रदर्शन है, वहीं इसमें अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसियों का सहयोग भी शामिल है। चंद्रयान -3 का विक्रम लैंडर नासा से संबंधित 'लेजर रिट्रोरिफ्लेक्‍टर ऐरे' (एलआरए) नामक एक सहायक उपकरण ले गया है।
इसरो ने कहा है, "आठ रिट्रोरिफ्लेक्टर वाली यह हल्की संरचना दीर्घकालिक जियोडेटिक स्टेशन और चंद्र सतह पर एक स्थान मार्कर के रूप में काम कर सकती है।"
इसरो को ब्रिटेन के फ्रेंच गुयाना स्थित यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और ऑस्ट्रेलिया से भी समर्थन मिला है। ईएसए ने एक बयान में कहा कि वह चंद्रयान-3 मिशन को गहन अंतरिक्ष संचार सहायता प्रदान कर रहा है। एजेंसी ने कहा, “चंद्रयान -3 मिशन के लिए, ईएसए फ्रेंच गुयाना में अपने कौरौ स्टेशन और यूके में गोनहिली अर्थ स्टेशन से नियमित समर्थन का समन्वय कर रहा है। ये स्टेशन नासा के डीप स्पेस नेटवर्क और इसरो के अपने स्टेशनों के समर्थन के पूरक हैं।”
ऑस्ट्रेलिया के न्यू नॉर्सिया में ईएसए के 35-मीटर एंटीना ने चंद्र लैंडिंग के दौरान अतिरिक्त ट्रैकिंग सहायता भी प्रदान की, जो इसरो के अपने ग्राउंड स्टेशन के लिए बैक-अप के रूप में काम कर रहा था। ईएसए ने कहा कि न्यू नॉर्सिया को इसरो के साथ ही साथ चंद्रयान -3 लैंडर से इसके स्वास्थ्य, स्थान और प्रक्षेपवक्र के बारे में महत्वपूर्ण संकेत हुई प्राप्‍त हुये। एजेंसी ने कहा कि उसके स्टेशन सतह के संचालन के अंत तक मिशन के रोवर और लैंडर मॉड्यूल द्वारा एकत्र किए गए टेलीमेट्री और वैज्ञानिक डेटा को रिले करना जारी रखेंगे।
इसके अलावा, कैनबरा डीप स्पेस कम्युनिकेशंस कॉम्प्लेक्स, जो नासा के डीप स्पेस नेटवर्क का हिस्सा है और ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी सीएसआईआरओ द्वारा प्रबंधित है, ने भी चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान के साथ संचार करने में इसरो की सहायता की। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एजेंसी के एक पोस्ट में कहा गया, "भारत की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग में भूमिका निभाना सौभाग्य की बात है।"
चंद्रयान-3 से सिग्नल मिलने के बाद इसने पोस्ट किया, "आपकी बात सुनकर अच्छा लगा चंद्रयान3।" इसरो ने कहा कि चिली और अमेरिका में स्थित स्वीडिश स्पेस कॉरपोरेशन (एसएससी), और ब्रुनेई, इंडोनेशिया तथा मॉरीशस में स्थित उसके ग्राउंड स्टेशनों ने भी ट्रैकिंग, गहरे अंतरिक्ष संचार और नेविगेशन के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की है।
चूँकि अंतरिक्ष राष्ट्रीय सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, इसरो ने अतीत में अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में प्रयास किए हैं। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कई संयुक्त मिशन चलाए हैं और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों में अपनी विशेषज्ञता भी साझा की है। अंतरिक्ष विभाग की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अब तक 60 देशों की एजेंसियों और पांच बहुराष्ट्रीय निकायों के साथ अंतरिक्ष सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं।
आईआईटी गुवाहाटी के भौतिकी विभाग में प्रोफेसर संतब्रत दास ने आईएएनएस को बताया, “इसरो दुनिया भर में अन्य सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ पेशेवर संबंध बनाए रखता है। यह अंतरिक्ष एजेंसियों और अंतरिक्ष से संबंधित निकायों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ा रहा है।”
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