अध्यक्ष सतीश रेड्डी ने किया ऐलान, रक्षा संबंधी समस्याओं पर काम करने वाले इनक्यूबेशन केंद्रों को वित्तीय मदद देगा DRDO
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा है कि रक्षा संबंधी समस्याओं पर काम करने वाले इनक्यूबेशन केंद्रों को वित्तीय मदद दी जाएगी.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा है कि रक्षा संबंधी समस्याओं पर काम करने वाले इनक्यूबेशन केंद्रों को वित्तीय मदद दी जाएगी. उन्होंने कहा कि डीआरडीओ दो या तीन दशकों के लिए निर्देशित अनुसंधान कार्यक्रम के तहत लंबी अवधि की परियोजनाओं पर विश्वविद्यालयों के साथ भी सहयोग करेगा. अपने गृह राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर आए रेड्डी ने एसआरएम विश्चविद्यालय-आंध्र प्रदेश के प्रति कुलपति डी नारायण राव, कुलपति वी एस राव, वैज्ञानिकों और विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों से बातचीत की. डीआरडीओ अध्यक्ष ने कहा कि बीटेक कर चुके छात्रों को इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना के लिए प्रत्येक को एक करोड़ रुपये तक की मदद दी जाएगी ताकि रक्षा संबंधी समस्याओं का समाधान निकाला जा सके.
स्टार्ट-अप व्यवसाय को विकसित करने में मदद करने वाले संस्थानों को 'इन्क्यूबेशन सेंटर' कहा जाता है. इसके तहत स्टार्ट-अप को व्यापारिक और तकनीकी सुविधाएं, वित्तीय मदद, प्रयोगशाला की सुविधा जैसी सहायता प्रदान की जाती है.
रेड्डी ने कहा कि अगर बीटेक कर चुके छात्र उद्योग में भागीदार के रूप में काम कर सकते हैं, तो उन्हें 10 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है. डीआरडीओ ने देश के कुछ विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें रक्षा संगठन के वैज्ञानिक सह-मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेंगे. रेड्डी ने कहा कि कार्यक्रम के लिए नामांकित शोधार्थियों को कार्यकाल के दौरान डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं में काम करने का अवसर मिलेगा. एसआरएम के प्रति कुलपति नारायण राव ने कहा कि डीआरडीओ उनकी जरूरतों के लिए प्रासंगिक कुछ परियोजनाओं पर उनके विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है.
आकाश-एनजी मिसाइल का सफल परीक्षण
इससे पहले DRDO ने बालासोर में ओडिशा के तट से आकाश-एनजी मिसाइल (Akash-NG Missile) का तीन दिनों में दूसरी बार सफल परीक्षण किया. DRDO के अधिकारी ने बताया कि 30 किमी की मारक क्षमता वाली वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम का पिछले तीन दिनों में यह दूसरा सफल ट्रायल है. सतह से हवा में मार करने वाली आकाश एनजी मिसाइल का दोपहर 11.45 बजे सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. इस मिसाइल का इस्तेमाल भारतीय वायु सेना द्वारा एयर स्ट्राइक के लिए किया जाएगा.