Cervical Cancer Vaccine: सीरम इंस्टिट्यूट ने विकसित की वैक्सीन, DCGI कमेटी ने की सिफारिश

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Update: 2022-06-16 01:00 GMT

नई दिल्ली: डीसीजीआई की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने देश में बनी अपनी तरह की पहली सीरम संस्थान की क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस (qHPV) वैक्सीन को हरी झंडी दे दी है. उसने 9 वर्ष से 26 वर्ष से अधिक उम्र के सर्वाइकल कैंसर के रोगियों के लिए इस वैक्सीन की बाजार में ब्रिकी की सिफारिश की है. जानकारी देते हुए आधिकारिक सूत्र ने कहा कि कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति ने इसके उपयोग पर बुधवार को चर्चा की.

मालूम हो कि सीरम इंस्टिट्यूट के निदेशक (सरकार एवं नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह ने डीजीसीआई के पास आठ जून को वैक्सीन को बाजार में लॉन्च करने की मंजूरी के लिए आवेदन दिया था.
साल के अंत तक हो सकती है लॉन्च
एएनआई के सूत्रों के मुताबिक यह वैक्सीन इस साल के अंत तक लॉन्च हो सकती है. इस वैक्सीन के फेस 2 और फेज 3 क्लिनिकल ट्रायल पूरे हो चुके हैं. सूत्रों ने कहा कि एसआईआई ने बुधवार को इस टीके के डेटा और उपयोगिता की समीक्षा के लिए एनटीएजीआई द्वारा अलग से गठित डॉ एनके अरोड़ा की अध्यक्षता में एचपीवी के कार्यकारी समूह के समक्ष एक प्रस्तुति भी दी थी. भारत में अभी सर्वाइकल कैंसर की विदेशी वैक्सीन उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी कीमत 4 हजार रुपये तक है.
ट्रायल में मिले बेहतर नतीजे
SII ने आवेदन में दावा किया है कि क्यूएचपीवी टीका सेरवावैक ने मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाई है. सभी एचपीवी वायरस पर एंटीबॉडी रिस्पांस बेसलाइन से 1000 गुना ज्यादा देखा गया है.
आवेदन में प्रकाश कुमार ने कहा कि हर साल लाखों महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ कुछ अन्य कैंसर का पता चलता है और मृत्यु अनुपात भी बहुत अधिक है. भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में दूसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है.
महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा
भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 80,000-90,000 मामले सामने आते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 100 से अधिक देशों में लड़कियों को ये टीका पहले से ही उपलब्ध कराया जा रहा है.
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल एंड पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित 2012 के एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में सभी वैश्विक सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का एक तिहाई हिस्सा है.
विश्व स्तर पर सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में चौथा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारतीय महिलाओं में यह दूसरा सबसे अधिक बार होता है.
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