सर्वाइकल कैंसर: भारत को मिलेगी पहली स्वदेशी वैक्सीन, जानें कीमत के बारे में...

Update: 2022-09-01 08:51 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जल्द ही देश को पहली स्वदेशी वैक्सीन मिलेगी. क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (qHPV) को आने वाले कुछ ही महीनों में लॉन्च किया जाएगा. खास बात ये है कि ये वैक्सीन आम लोग 200-400 रुपए के बीच में खरीद सकते हैं. ये वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने बनाई है

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह गुरुवार को qHPV वैक्सीन के साइंटिफिक कंप्लीशन के कार्यक्रम में शामिल हुए. साइंटिफिक कंप्लीशन का अर्थ होता है कि वैक्सीन से संबंधित रिसर्च और डेवलपमेंट का काम पूरा हो गया है. अब अगले चरण में इसे जनता के लिए उपलब्ध कराने पर काम होगा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोरोना को देखते हुए वैक्सीन के विकास के प्रति जागरूकता बढ़ी है.
इस मौके पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के CEO अदार पूनावाला ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर का टीका सस्ता होगा और यह 200-400 रुपये की रेंज में लोगों के लिए उपलब्ध होगा. हालांकि अभी अंतिम कीमत तय नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि वैक्सीन इस साल के अंत तक लॉन्च हो सकती है. उन्होंने बताया कि शुरुआत में वैक्सीन को सरकारी माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा. बाद में इसे कुछ प्राइवेट पार्टनर्स को भी दी जाएगी.
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने पिछले दिनों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ वैक्सीन बनाने की इजाजत दी थी. इस वैक्सीन का नाम CERVAVAC रखा गया है. इस वैक्सीन के फेज 2 और 3 के ट्रायल हो चुके हैं. दावा है कि ट्रायल में ये वैक्सीन सभी आयु वर्ग की महिलाओं पर असरदार साबित हुई है. इस वैक्सीन ने सभी प्रकार के HPV वायरस पर असर दिखाया है.
क्या है सर्वाइकल कैंसर?
- ऐसा समझा जाता है कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं को होता है, लेकिन कई बार ये पुरुषों को भी हो सकता है. सर्वाइकल कैंसर होने पर जननांग में संक्रमण हो जाता है. अगर समय पर इस पर ध्यान चला जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन देर होने पर या संक्रमण फैलने पर इससे मौत हो सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर दुनिया में महिलाओं को होने वाला चौथा आम कैंसर है. 2020 में इसके दुनियाभर में 6 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे और 3.42 लाख मौतें हुई थीं. 2020 में जितने मामले सामने आए थे, उनमें से 90% केस कम और मध्यम आय वाले देशों में आए थे.
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