केंद्र सरकार करेगा 26,000 करोड़ रुपये की G-Sec की बिक्री के लिए नीलामी, 17 सितंबर को लगेगी बोली
केंद्र ने एक इक्वल वैल्यू मेथड (Equal Value Method) का इस्तेमाल करते हुए।
केंद्र ने एक इक्वल वैल्यू मेथड (Equal Value Method) का इस्तेमाल करते हुए. मूल्य आधारित नीलामी के माध्यम से 14,000 करोड़ रुपये की अधिसूचित राशि के लिए '6.10 प्रतिशत गवर्नमेंट सिक्योरिटी, 2031' की बिक्री की भी घोषणा की. और मल्टीपल वैल्यू मेथड (Multiple Value Method) का इस्तेमाल करते हुए मूल्य आधारित नीलामी (Price Based Auction) के माध्यम से 9,000 करोड़ रुपये की अधिसूचित राशि के लिए '6.76 प्रतिशत गर्वमेंट सिक्योरिटि 2061' की बिक्री की भी घोषणा की.
भारत सरकार के पास उपरोक्त सुरक्षा / प्रतिभूतियों के खिलाफ 6,000 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त सदस्यता बनाए रखने का विकल्प होगा. नीलामी 17 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक, मुंबई कार्यालय, फोर्ट, मुंबई द्वारा आयोजित की जाएगी. सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी में गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा के लिए योजना के अनुसार प्रतिभूतियों की बिक्री की अधिसूचित राशि का 5 प्रतिशत तक पात्र व्यक्तियों और संस्थानों को आवंटित किया जाएगा.
कॉम्पिटेटिव और नॉन-कॉम्पिटेटिव बोलियों का समय
नीलामी के लिए कॉम्पिटेटिव और नॉन-कॉम्पिटेटिव दोनों बोलियां 17 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कोर बैंकिंग सॉल्यूशन (ई-कुबेर) प्रणाली पर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में प्रस्तुत की जानी चाहिए. नॉन-कॉम्पिटेटिव बोली सुबह 10.30 से 11.00 बजे के बीच जमा की जानी चाहिए और कॉम्पिटेटिव बोली सुबह 10.30 से 11.30 बजे के बीच जमा की जानी चाहिए. नीलामी (Auction) का परिणाम 17 सितंबर को घोषित किया जाएगा और सफल बोलीदाताओं द्वारा भुगतान 20 सितंबर को किया जाएगा. .
क्या है सरकारी सिक्योरिटी?
सरकारी सिक्योरिटी (Government Security) एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी खरीद-फरोख्त होती है. केंद्र और राज्य सराकरों इन्हें जारी करती हैं. इन्हें G-Sec भी कहा जाता है. केंद्र या राज्यों की सरकारें उधारी जुटाने के लिए इसे जारी करती हैं. छोटी अवधि की सिक्योरिटी को ट्रेजरी बिल कहते हैं. ट्रेजरी बिल एक साल से कम अवधि के लिए जारी की जाती हैं.
केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और डेट सिक्योरिटीज, दोनों जारी करती है. राज्य सरकारें सिर्फ डेट सिक्योरिटीज ही जारी कर सकती हैं. इसे स्टेट डेवलपमेंट लोन भी कहा जाता है. चूंकि ये सिक्योरिटी सरकार की तरफ से जारी किये जाते हैं, इसलिए इनमें जोखिम नहीं के बराबर होता है.