दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति पर केंद्र सरकार दोबारा करें विचार : सीएम केजरीवाल
दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है। आप विधायक संजीव झा द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त किए जाने के केन्द्र सरकार के फैसले को नियम विरुद्ध बताया गया है। सदन में प्रस्ताव रखते हुए संजीव झा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए यह नियुक्ति की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट कहा है कि डीजीपी पर ऐसे अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए जिसके पास कम कम छह महीने का सेवाकाल बचा हो। जब राकेश अस्थाना को पुलिस आयुक्त बनाया गया तब उनकी सेवानिवृत्ति में सिर्फ चार दिन ही शेष रह गए थे। बाद में उन्हें साल भर का सेवा विस्तार दिया गया।
उन्होंने कहा कि राकेश अस्थाना के पास सीबीआई का अनुभव ज्यादा है और उनके कार्यकाल में दिल्ली में अपराध कम होने की खास उम्मीद नहीं की जा सकती। आप सदस्य गुलाब सिंह यादव, अखिलेश त्रिपाठी, बीएस जून, सोमनाथ भारती ने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया। उनकी ओर से कहा गया कि पुलिस आयुक्त की नियुक्ति आम आदमी पार्टी को डराने-धमकाने के लिए किया गया है। लेकिन, आप विधायक डरने वाले नहीं हैं।
वहीं, भाजपा सदस्य और नेता विपक्ष रामवीर सिंह विधूड़ी ने राकेश अस्थाना की नियुक्ति का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि अस्थाना एक ईमानदार अधिकारी हैं और उनका कार्यकाल शानदार रहा है। उनके शानदार काम के लिए उन्हें 2001 में पुलिस मेडल और 2009 में राष्ट्रपति का पुलिस मेडल दिया गया। उन पर जो आरोप लगे उस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें क्लीनचिट दी हुई है। विधूड़ी ने कहा कि सदन में लोगों से जुड़े हुए बिजली-पानी, जलभराव जैसे मुद्दों पर चर्चा कराने की बजाय अस्थाना जैसे ईमानदार अधिकारी की नियुक्ति पर चर्चा की जा रही है। चर्चा के समापन में दिल्ली के गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन ने प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना करके की गई है और इसमें गड़बड़झाला है। बाद में इस मुद्दे पर हुई अल्पकालिक चर्चा का संकल्प सदन में बहुमत से स्वीकार कर लिया गया।