नई दिल्ली(आईएएनएस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने वैदिक संस्कृत कृषि शिक्षा सोसायटी द्वारा चलाए जा रहे दिल्ली सरकार के सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक भर्ती में कथित अनियमितताओं के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की है। सूत्रों से ये जानकारी मिली है। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि उन्हें इस मामले में 9 मार्च को शिकायत मिली थी और 28 अप्रैल को प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की गई। पूछताछ से पता चला कि वी.एस. एग्रीकल्चर सीनियर सेकेंडरी स्कूल दिल्ली सरकार के अधीन एक सहायता प्राप्त स्कूल है और इसे दिल्ली के खेरा गढ़ी में स्थित वैदिक संस्कृत एग्रीकल्चरल एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा चलाया जाता है।
एक सूत्र ने कहा, "वैदिक संस्कृत कृषि वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रबंधन समिति ने 18 वैकेंसी पर 16 उम्मीदवारों की भर्ती की। 16 उम्मीदवारों में से छह -- प्रवीण बजाद (पीजीटी - राजनीति विज्ञान), चित्रे रेखा (टीजीटी - अंग्रेजी), सोनिया (टीजीटी - सामाजिक अध्ययन) , प्रतिभा (पीजीटी - अर्थशास्त्र), पिंकी आर्य (टीजीटी - संस्कृत) और मनीष कुमार (पीजीटी - वाणिज्य) - का चयन वैदिक संस्कृत कृषि वरिष्ठ माध्यमिक की प्रबंधन समिति के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण राणा और स्कूल और जिम कॉर्बेट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पूर्व पदाधिकारी शशिकांत सिंह की मिलीभगत से किया गया था।“
प्रवीण बजाद ने अपना आवेदन पत्र अंतिम तिथि के बाद जमा किया और उनका विकलांगता प्रमाणपत्र उनके आवेदन के साथ नहीं था। कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा से जुड़े धोखाधड़ी के एक मामले में भी उन्हें दोषी ठहराया गया, लेकिन उन्होंने यह जानकारी छिपा ली। कलिंगा विश्वविद्यालय से उनकी मास्टर डिग्री जाली पाई गई। सोनिया, प्रतिभा और मनीष कुमार के अनुभव प्रमाण पत्र जिम कॉर्बेट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पॉलीशीट, काठगोदाम, उत्तराखंड के लेटरहेड पर जारी किए गए थे। हालांकि, जांच से पता चला कि ये प्रमाणपत्र स्कूल द्वारा कभी जारी किए ही नहीं गए।
सीबीआई ने खुलासा किया कि ये प्रमाणपत्र शशिकांत सिंह ने पैसे लेकर तैयार किये थे। इसी तरह नव दुर्गा आदर्श विद्यालय द्वारा जारी चित्रे रेखा का अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी पाया गया। यहां तक कि प्राचार्य का हस्ताक्षर भी फर्जी था। प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर कृष्ण कुमार के थे, जिन्हें कभी प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त नहीं किया गया था। जिम कॉर्बेट सेकेंडरी स्कूल के अधिकारियों ने सीबीआई को सूचित किया कि उन्होंने सोनिया, प्रतिभा और मनीष कुमार को कभी कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया। दो उम्मीदवार -- पिंकी आर्य और मोनिका ने ब्राह्मी (जनता) सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नाथूपुर, सोनीपत, हरियाणा से एक्सपीरिएंस सर्टफिकेट लेकर दिए, जो नकली पाए गए। वैदिक संस्कृत एग्रीकल्चर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की ललिता और रेनू गुलिया के अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी थे।
सीबीआई के पीई में कहा गया, "सभी उम्मीदवारों को उनके चयन में लाभ दिया गया। लगभग सभी अनुभव प्रमाण पत्र फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि के बाद जारी किए गए, और आवेदनों की जांच करने से पहले अध्यक्ष द्वारा इसका प्रबंधन किया गया था। “ पीई में यह भी कहा गया कि पांच उम्मीदवारों ने कलिंगा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की, जिन्हें 2013 और 2014 में प्रवेश दिया गया था। विश्वविद्यालय ने सीबीआई को सूचित किया कि प्रमाण पत्र वास्तविक थे, लेकिन इन उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त उपस्थिति, भुगतान पर्ची या छात्रावास सुविधाओं के संबंध में कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था। "चयनित अभ्यर्थियों के कुछ आवेदन पत्र निरस्त कर दिए जाने चाहिए थे, लेकिन इसके बजाय अध्यक्ष ने जानबूझकर और बेईमानी से कुछ अभ्यर्थियों को मौका दिया ताकि वो अनुभव प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकें। लिए।" आईएएनएस ने एफआईआर की कॉपी देखी जिसमें शिकायत में उल्लिखित आरोप प्रथम दृष्टया धारा 120-बी के साथ धारा 420, 467, 468 और 471 आईपीसी के तहत दंडनीय अपराध का खुलासा करते हैं।