बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया कावेरी जल विवाद के संबंध में बुधवार को यहां एक आपातकालीन सर्वदलीय बैठक करेंगे। सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार पानी छोड़ने के मामले में अपनी पहली अग्निपरीक्षा का सामना कर रही है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि पानी छोड़े जाने से दक्षिण कर्नाटक के जिलों, विशेषकर बेंगलुरु शहर में पीने के पानी की आपूर्ति खतरे में पड़ जाएगी।
कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) ने अपनी नवीनतम सिफारिश में कर्नाटक सरकार से बुधवार से 25 दिनों के लिए 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने को कहा है। डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने कहा था कि राज्य पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है क्योंकि उसके पास पीने के पानी के लिए पर्याप्त भंडारण नहीं है। मामला बुधवार को उच्च प्राधिकारी, कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के समक्ष आ रहा है। शिवकुमार ने यह भी कहा था कि अधिकारियों को यह बताने के लिए कहा गया है कि राज्य पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि वह इस मामले में दखल नहीं देगा।
सीएम सिद्दरमैया की अध्यक्षता में बैठक दोपहर 12:30 बजे विधान सौध में शुरू होगी। उप मुख्यमंत्री शिवकुमार, कावेरी जलग्रहण क्षेत्र के मंत्री, वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी, पूर्व मुख्यमंत्री, संसद सदस्य और विपक्ष के नेताओं को बैठक में आमंत्रित किया गया है। मामले को लेकर राज्य सरकार ने मंगलवार रात बैठक की थी।
राज्य सरकार मुश्किल में आ गई है क्योंकि अगर पानी छोड़ा गया तो उसे राजधानी बेंगलुरु समेत पूरे क्षेत्र में पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा। दूसरी ओर राज्य जल प्रबंधन निकायों के आदेशों को पूरा करने के लिए भी बाध्य है। तमिलनाडु को पानी छोड़े जाने का विरोध करते हुए किसान भी आंदोलन की राह पर हैं।