'बिना सबूत के'...हाईकोर्ट ने कर दी महत्वपूर्ण टिप्पणी, जानें हैरान करने वाला मामला

कहा कि पति और पत्नी के बीच मामूली विवादों के मामले भी अदालतों में पहुंच रहे हैं।

Update: 2024-04-09 12:02 GMT

सांकेतिक तस्वीर

बेंगलुरु: पत्नी या फिर बहू से क्रूरता के मामलों में आज भी ससुराल वालों पर बिना सबूत के केस दर्ज किए जा रहे हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की है। बेंच ने यह भी कहा कि पति और पत्नी के बीच मामूली विवादों के मामले भी अदालतों में पहुंच रहे हैं। अदालत ने कहा, 'यह ध्यान देने योग्य बात है कि आईपीसी के सेक्शन 498A का आज भी गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। पति और पत्नी के बीच मामूली विवाद भी अदालत पहुंच रहे हैं। यही नहीं पति के अलावा ससुराल के तमाम सदस्यों को भी इसमें नामजद कर दिया जाता है। कई बार ऐसे परिजनों पर भी केस दर्ज होते हैं, जो कहीं और रहते हों।'
अदालत ने कहा, 'कई बार इस बात का सबूत भी नहीं होता है कि पति और पत्नी के झगड़े में परिजनों की क्या भूमिका थी। इसके बाद भी केस दर्ज कर लिए जाते हैं।' जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने कहा कि कई बार झगड़े की वजह कुछ और होती है, लेकिन अन्य आरोपों में शिकायत दर्ज करा दी जाती है। ऐसा इसलिए होता है ताकि सेक्शन 498ए के तहक केस दर्ज हो और पति एवं उसके परिजनों को जेल भिजवाया जा सके। हालांकि संबंधित मामले में अदालत ने महिला के पति और उसकी मां के खिलाफ कार्यवाही जारी रहने का आदेश दिया।
महिला की शिकायत का परीक्षण करने के बाद अदालत ने कहा कि मुख्य तौर पर शिकायत पति और उसकी मां यानी सास के खिलाफ थी। लेकिन कुछ और परिजनों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करा दी गई, जो कि मुंबई में रहते भी नहीं थे, जहां कपल रहता है। अदालत ने कहा कि इस मामले में पति और सास के अलावा अन्य 8 लोगों पर भी उत्पीड़न का केस दर्ज कराया गया है। जबकि उनके बारे में जांच में कोई सबूत तक नहीं मिला।
यहां तक कि एफआईआर में भी सही से इस बात का वर्णन नहीं है कि पति और सास के अलावा अन्य 8 लोगों ने कैसे उत्पीड़न किया। इस तरह हाई कोर्ट ने पति और सास के अलावा अन्य 8 लोगों के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोपी नंबर 1 और 2 के खिलाफ केस चलना चाहिए।
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