पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला, राज्यपाल से मिलेंगे बीजेपी के नेता
नई दिल्ली: पीएम मोदी की सुरक्षा में चूक का मामला अभी थमा नहीं है. अब पंजाब में बीजेपी का डेलिगेशन राजभवन जाकर राज्यपाल से मिलेगा. यह मीटिंग सुबह 11 बजे होगी. डेलिगेशन का नेतृत्व पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा करेंगे.
वो पांच सवाल जिनके जवाब मिलने अभी बाकी हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बुधवार को 'गंभीर चूक' हुई. इस कारण पीएम मोदी 20 मिनट तक एक फ्लाईओवर पर फंसे रहे. गंभीर चूक इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जिस फ्लाईओवर पर फंसे थे, वो पाकिस्तान की सीमा से बहुत ज्यादा दूर भी नहीं था. इतना ही नहीं, ये गंभीर चूक इसलिए भी है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इसे अपनी जान का खतरा बताया. उन्होंने पंजाब सरकार के अधिकारियों से कहा कि वो अपने सीएम को थैंक्स कहें क्योंकि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया.
मिनटों तक फ्लाईओवर पर फंसे रहने के बाद प्रधानमंत्री मोदी बिना रैली किए ही वापस लौट आए. इस सुरक्षा चूक को लेकर राजनीति भी तेज है तो कई सवाल भी खड़े हैं.
पहला सवालः रूट को ग्रीन सिग्नल किसने दिया?
- गृह मंत्रालय ने बताया कि पीएम मोदी सुबह बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरे. उन्हें हेलिकॉप्टर से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पहुंचना था. मौसम खराब होने से एयरपोर्ट पर पीएम ने 20 मिनट इंतजार किया. बाद में सड़क के रास्ते जाने का फैसला लिया गया. गृह मंत्रालय के मुताबिक, पंजाब पुलिस की डीजीपी ने रूट को ग्रीन सिग्नल दिया था, उसके बाद ही पीएम मोदी का काफिला सड़क के रास्ते रवाना हुआ.
दूसरा सवालः काफिला फंसा तो इलाका खाली क्यों नहीं कराया गया?
- गृह मंत्रालय के मुताबिक, पीएम मोदी का काफिल राष्ट्रीय शहीद स्मारक से 30 किलोमीटर पहले एक फ्लाईओवर पर फंस गया. प्रदर्शनकारियों ने उनका रास्ता रोक दिया और सड़क जाम कर दी. कुछ वीडियो सामने आए हैं जिसमें लोग पीएम मोदी के काफिले को दिखा रहे हैं. यानी आम लोग प्रधानमंत्री मोदी के काफिले से ज्यादा दूर नहीं थे. सवाल उठता है कि अगर फ्लाईओवर पर काफिला फंस गया था तो आसपास के इलाके को खाली क्यों नहीं कराया गया?
तीसरा सवालः डीजीपी-चीफ सेक्रेटरी काफिले के साथ क्यों नहीं थे?
- अगर प्रधानमंत्री किसी राज्य का दौरा करने जाते हैं तो प्रोटोकॉल के तहत उस राज्य के डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी उनका स्वागत करने जाते हैं. लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ. पीएम मोदी जब बठिंडा एयरपोर्ट पहुंचे तो उनका स्वागत करने के लिए वहां न तो डीजीपी थे और न ही चीफ सेक्रेटरी. इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री के काफिले के साथ डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी भी रहते हैं. लेकिन सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी के काफिले में डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी की गाड़ी तो थी लेकिन दोनों अधिकारी उसमें नहीं थे.
चौथा सवालः इमरजेंसी रूट को लेकर पुलिस ने क्या तैयारी की थी?
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की होती है. लेकिन जब पीएम किसी राज्य के दौरे पर जाते हैं तो उस राज्य की पुलिस की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. गृह मंत्रालय का कहना है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम के बारे में पंजाब सरकार को पहले ही बता दिया गया था. उन्हें रसद और सुरक्षा के इंतजाम के साथ-साथ आकस्मिक योजना के लिए भी तैयारी करनी थी. गृह मंत्रालय के मुताबिक, डीजीपी ऑफिस से रूट क्लियर होने का सिग्नल मिलने के बाद ही पीएम मोदी का काफिला सड़क से निकला, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने रास्ता ब्लॉक कर रखा था. इससे पंजाब पुलिस पर सवाल खड़े होते हैं. क्या पुलिस ने इमरजेंसी रूट को लेकर कोई तैयारी नहीं की थी?
पांचवा सवालः प्रदर्शनकारियों को कैसे मिल रहा था दौरे का अपडेट?
- तय कार्यक्रम के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी सड़क के रास्ते राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाने ही नहीं वाले थे. उनके प्लान में अचानक बदलाव हुआ. प्रधानमंत्री मोदी सड़क से जाएंगे, इस बारे में डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी समेत राज्य के शीर्ष अधिकारियों को ही जानकारी थी. फिर भी पीएम मोदी जिस सड़क से निकलने वाले थे, उसे किसान प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक कर दिया था. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदर्शनकारियों को कैसे पता चला कि पीएम मोदी कि रूट से आ रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारियों को पीएम मोदी के रूट में आने की इजाजत दी गई थी.