तोपवाली मस्जिद में तोप चलाकर बताते हैं सहरी-इफ्तार का वक्त, 150 साल पुरानी परंपरा आज भी लागु
उज्जैन के पुराने शहर कोट मोहल्ला में एक मस्जिद है, जिसे तोपवाली मस्जिद भी कहा जाता है। रमजान माह में इस मस्जिद में सेहरी और रोजा इफ्तार की सूचना तोप चलाकर दी जाती है। मस्जिद का नाम तोप वाली मस्जिद इसलिए पड़ा, क्योंकि यहां 150 साल पुरानी तोप में बारूद डालकर सुबह सहरी और शाम को इफ्तार के वक्त छोड़ा जाता है। यही नहीं ईद के एक दिन पहले 7 बार तोप से गोले दागकर ईद की सूचना दी जाती है।
इसलिए हुई शुरुआत
दरअसल सैकड़ों साल पहले सूचना देने के साधन नहीं थे। तब रमजान के पाक महीने में तोप के धमाके से लोगों को सेहरी और रोजा इफ्तारी का वक्त बताया जाता था। तब से शुरू हुई परंपरा आज भी चल रही है। आज भले ही माइक सहित अन्य संसाधन हो गए है, लेकिन इसके बावजूद तोपवाली मस्जिद में तोप चलाने का रिवाज बदस्तूर चला आ रहा है। तोप का खास रखरखाव भी किया जाता है।
एक समय में लगता है 100 ग्राम बारूद
तोपखाना मस्जिद के सदर मोहम्मद मकसूद बताते हैं कि इस तोप को करीब 150 साल हो गए हैं। सुबह सहरी और शाम को इफ्तार के वक्त तोप से गोले छोड़े जाते हैं। इसमें एक समय में 100 ग्राम बारूद लगता हैं। उन्होंने बताया कि कभी पूरे उज्जैन शहर में इसकी आवाज सुनी जाती थी। अब बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनने से इसकी आवाज ज्यादा दूर तक नहीं जाती है। मकसूद के मुताबिक पूरे महीने में 3 किलो से ज्यादा बारूद लग जाती है। ईद के एक दिन पहले 7 बार गोले दागे जाते हैं। जिससे समाजजनों को पता चला जाए कि ईद हो जाती है।