क्या आर्य समाज मंदिर धर्मांतरण करा सकते है? हाईकोर्ट ने अपनाया सख्त रूप

जानें मामला।

Update: 2021-12-29 10:55 GMT

ग्वालियर: आर्य समाज को लेकर को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट लगातार सख्त टिप्पणियां कर रहा है। कुछ दिन पहले मैरिज सर्टिफिकेट को लेकर हाईकोर्ट ने आर्य समाज पर नाराजगी जाहिर की और अब आर्य समाज मंदिर में हुए धर्मांतरण को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कोर्ट ने पूछा है कि क्या आर्य समाज मंदिर किसी का धर्म परिवर्तन करा सकते हैं? इसे लेकर कोर्ट से यचिकाकर्ता ने 3 जनवरी तक जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को होनी है।

साल 2019 में शिवपुरी जिले के पिछोर में रहने वाली एक नाबालिग लड़की को राहुल नाम का लड़का घर से भागकर ले गया था और यूपी के गाजियाबाद स्थित आर्य समाज मंदिर में उससे शादी की थी। शादी से पहले उसने लड़की का धर्म परिवर्तन कराया। वहीं दूसरी ओर लड़की के पिता ने शिवपुरी जिले के पिछोर थाने में लड़की की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बाद में पुलिस ने लड़के पर दुष्कर्म का मामला दर्ज कर दिया था। दो साल बाद लड़की के बालिग होने पर ये दोनों अपने घर वापस लौटे और सीधे थाने पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपनी शादी की जानकारी दी थी। पुलिस ने लड़की से घर जाने को कहा तो लड़की ने पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया। उसके बाद लड़की को नारी निकेतन और राहुल को जेल भेज दिया गया।
जमानत मिलने के बाद राहुल ने पत्नी को नारी निकेतन से मुक्त कराने के लिए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। मंगलवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि लड़का-लड़की दोनों की उम्र 18 साल से ज्यादा है और दोनों गाजियाबाद के आर्य समाज मंदिर में शादी की है। याचिकाकर्ता के अनुसार, शादी से पहले लड़की का धर्म परिवर्तन हुआ था वह हिंदू हो गई है। इस समय राहुल की पत्नी नारी निकेतन में रह रही है। उसे नारी निकेतन से मुक्त किया जाए। इसके साथ ही लड़की भी अपने बयानों में विवाह करना स्वीकार कर चुकी है।
मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन पर याचिकाकर्ता से सवाल किया है। हाईकोर्ट ने पूछा है कि क्या आर्य समाज मंदिर में किसी का धर्म परिवर्तन कराया जा सकता है? इसको लेकर याचिकाकर्ता अधिवक्ता सोमनाथ सेठ का कहना है कि वह अगली सुनवाई इस संबंध में जवाब देंगे। इसके बाद कोर्ट ने 3 जनवरी को अगली सुनवाई तय की है।
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